Ayodhya Mein Siya Ram: भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. इसे लेकर पूरे देशवासियों में काफी उत्साह है. करीब 500 सालों के इंतजार के बाद भगवान राम फिर अपने जन्मस्थल पर विराजमान होने जा रहे हैं. ऐसे में देश के अलग-अलग जगहों से लोगों की भक्ति और राम के प्रति अटूट विश्वास की कहानी सामने आ रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय की श्रद्धा चर्चा का विषय बनी हुई है.


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दरअसल छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय के लिए 'राम' का नाम उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह एक ऐसी संस्कृति है. जिसमें राम नाम को कण-कण में बसाने की परम्परा है. इसी परम्परा के तहत इस संप्रदाय से जुड़े लोग अपने पूरे शरीर पर "राम-राम" का नाम गुदना अर्थात स्थाई टैटू बनवाते हैं. राम-राम लिखे कपड़े धारण करते हैं, घरों की दीवारों पर राम-राम लिखवाते हैं, आपस में एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह कर करते हैं. यहां तक कि एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते भी हैं.


प्राण-प्रतिष्ठा का मिला न्योता
बता दें कि शरीर के विभिन्न हिस्सों में राम नाम लिखवाने के कारण इस संप्रदाय से जुड़े लोग अलग से ही पहचान में आ जाते हैं. इसी कड़ी में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से रामनामी संप्रदाय के मेहत्तर राम दास को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में आने को न्योता दिया गया है. उन्होंने कहा कि मैंने अपना 18 जनवरी का टिकट करवा कर रखा है. 22 जनवरी को राम मंदिर अयोध्या पहुंच भगवान का आशीर्वाद लेंगे.


नई पीढ़ी परंपरा से हो रही दूर
सिर से लेकर पैर तक, यहां तक की जीभ व तलवे में भी स्थाई रुप से राम नाम गुदवाने वाले रामनामियों के सामने अब अपनी पहचान का संकट खड़ा हो गया है. कारण यह है कि रामनामियों की नई पीढ़ी का राम नाम गुदवाने की अपनी परम्परा से दूर होते चले जा रही है. रामनामी संप्रदाय की नई पीढ़ी मात्र ललाट या हाथ पर एक या दो बार राम-राम गुदवा कर किसी तरह अपनी परम्परा का निर्वाह कर लेना चाह रही है. हालांकि रामनामी संप्रदाय की ओर से नई पीढ़ियों पर कोई दबाव नहीं है. वे अपने इच्छा अनुरूप निर्णय कर सकते है.


रामनाम संप्रदाय के 5 प्रतीक
छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय के 5 प्रमुख प्रतीक हैं. जिसमें शरीर पर राम-राम का नाम गोदवाना, सफेद कपड़ा ओढ़ना (जिस पर काले रंग से राम-राम लिखा हो),  घुंघरू बजाते हुए भजन करना, मोरपंखों से बना मुकट पहना और भजन खांब या जैतखांब है.


जानिए आखिर रामनामी संप्रदाय क्या है?
दरअसल रामनामी संप्रदाय के बारे में ये कहा जाता है कि राम-राम और राम का नाम उनकी संस्कृति, परंपरा और आदत का हिस्सा है. इस समुदाय के कण-कण में सिर्फ राम बसे हुए हैं. इस समुदाय के लोग पूरे बदन पर पर राम नाम का टैटू गुदवाते हैं. घरों की दीवारों पर राम नाम लिखवाते हैं, राम नाम से संबोधन करते हैं. इस समुदाय का मानना है कि राम मंदिर में नहीं तन में वास करते हैं. इनके लिए तन ही मंदिर है.


इस समुदाय की आबादी बहुत कम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस समय ये समाज अपना अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. इस समाज का नियम है कि दो साल के बच्चे की छाती पर राम के नाम का टैटू बन जाए. इनके समुदाय में हर 5 साल में मुखिया का चुनाव भी होता है. छत्तीसगढ़ में इनकी आबादी इस समय पांच हजार से भी कम है.