किशोर शिल्लेदार/राजनांदगांवः जिला मुख्यालय से 36 किमी दूरी पर स्थित डोंगरगढ़ श्रद्धा और विश्वास की धार्मिक नरही है. डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर विश्विख्यात मां बम्लेश्वरी का मंदिर विश्व विख्यात आस्था का केंद्र है. यहां पर मां बंम्लेश्वरी के दो विख्यात मंदिर हैं. यहां की पहाड़ी पर 1600 फिट की ऊंचाई पर पहला मंदिर बड़ी बम्लेश्वरी के नाम से जाना जाता है. यहां पर मां के दर्शन के लिए करीब 1000 सीढ़ियां चढ़नी होती है. बड़ी बम्लेश्वरी के समतल पर ही छोटी बम्लेश्वरी देवी मंदिर स्थित है. नवरात्रि में यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दौरान यहां भव्य मेले का आयोजन होता है. 


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जानिए क्या है मंदिर का इतिहास
अब से 2200 साल पहले डोंगरगढ़ के प्राचीन नाम कामख्या नगरी में राजा वीरसेन का शासन हुआ करता था, वे नि:संतान थे. पुत्ररत्न की कामना के लिए उन्होंने महिषमती पुरी (मप्र. के मंडला) में शिवजी और भगवती दुर्गा की आराधना की. इसके बाद रानी को एक साल के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. ज्योतिषियों ने नामकरण में पुत्र का नाम मदनसेन रखा. भगवान शिव और मां दुर्गा की कृपा से राजा वीरसेन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, जिसके चलते वे भक्ति भाव से प्रेरित होकर कामख्या नगरी में मां बम्लेश्वरी (जगदम्बे महेश्वर) का मंदिर बनवाया गया. राजा मदनसेन एक प्रजा सेवक शासक थे. उनके पुत्र कामसेन जिनके नाम पर कामख्या नगरी का नाम कामावतीपुरी रखा गया. कालांतर में नगरी का नाम डोंगरगढ़ में परिवर्तित हो गया.


नवरात्र में लगता है मेला
डोंगरगढ़ में साल के दोनों नवरात्र में भव्य मेला लगता है. माता के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं. यहां दर्शन करने प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेश के भी दर्शनार्थी हर साल माता के दरबार में पहुंचते हैं. डोंगरगढ़ में पहाड़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए सुव्यवस्थित सीढ़िया तो बनाई ही गई है. लेकिन दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए रोपवे भी बनाया गया है. मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा संचालित ये रोपवे नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिनों तक दिन रात चालू रहता है.


डोंगरगढ़ में होगा हर ट्रेनों का स्टॉपेज
हावड़ा मुंबई रेल मार्ग पर स्थित डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन पर रेल मार्ग से आने वाले दर्शनार्थियों के लिए सभी ट्रेनों के पहिए यहां थमेंगे. हालांकि रेलवे ने इस रूट पर चलने वाली 68 ट्रेनों को हालही में कैंसल किया है. लेकिन जो ट्रेन चल रही है उन सभी ट्रेनों को डोंगरगढ़ स्टेशन पर रोक जाने के आदेश रेल प्रशासन द्वारा जारी किए गए है.


एक हजार जवान संभालेंगे सुरक्षा का इंतजाम
कोविड संक्रमण की वजह से दो सालों तक रहे प्रतिबंधों की वजह से डोंगरगढ़ में मेले का आयोजन नहीं किया जा सका था. दर्शनार्थियों के लिए भी प्रतिबंध था. लेकिन कोविड के बाद इस बार लाखों की संख्या में दर्शनार्थियों के पहुंचने की संभावना को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा इंतजामों की कमान संभाल ली है. मेले के दौरान पूरे नौ दिनों मंदिर क्षेत्र से लेकर पूरे क्षेत्र में 1000 पुलिस जवानों के अलावा दो दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी रहेगी. पूरे क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए पुलिस ने तीन कंट्रोल रूम भी बनाए है. यहां पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी भी की जाएगी.


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