नई दिल्लीः साल 2013 में झीरम घाटी (Jheeram Ghati Attack) में हुए नक्सली हमले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को झकझोर कर रख दिया था. इस हमले में कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) के अधिकतर टॉप नेता मारे गए थे. एक तरह से इस नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया था, इनमें प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, महेंद्र कर्मा, पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल जैसे बड़े नाम शामिल थे. ऐसे मुश्किल वक्त में भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को ना सिर्फ संभाला बल्कि फिर से इतना मजबूत बनाया कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. 


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पाटन से शुरू की राजनीति
भूपेश बघेल के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1980 में हुई और उन्होंने साल 1993 में पहली बार पाटन विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद साल 1998 और 2003 में भी भूपेश बघेल पाटन विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने. 2008 में भूपेश बघेल को झटका लगा, जब पाटन सीट पर भाजपा के विजय बघेल के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद भूपेश बघेल ने 2009 में रायपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन यहां भी उनकी हार हुई. इस दौरान बघेल कांग्रेस संगठन के साथ सक्रिय रहे लेकिन इसी बीच साल 2013 में झीरम घाटी हमला हो गया. 


दरअसल 10 साल बीजेपी के शासन के बाद 2013 में कांग्रेस ने जीत के लिए पूरा जोर लगाया हुआ था. इसी कड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य में परिवर्तन रैली निकाल रहे थे. 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन रैली सुकमा में निकाली गई. जब कांग्रेस नेता सुकमा से जगदलपुर की तरफ जा रहे थे. उसी दौरान उनके काफिले पर नक्सलियों ने हमला बोल दिया. इस हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं समेत 30 के करीब लोगों की जान गई.  


कांग्रेस को किया मजबूत


झीरम घाटी हमले ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा. 2013 विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार मिली. इस दौरान पार्टी में असंतोष भी बढ़ा. ऐसे मुश्किल वक्त में भूपेश बघेल ने साल 2014 में प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान संभाली. इस दौरान पूर्व सीएम अजीत जोगी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के बीच मनमुटाव चरम पर था. ऐसे में कांग्रेस ने अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को पार्टी से बर्खास्त किया. भूपेश बघेल ने आगे बढ़कर पार्टी का नेतृत्व किया. बघेल को साथ मिला टीएस सिंहदेव का और दोनों ने छत्तीसगढ़ में फिर से कांग्रेस को मजबूत बनाया. बघेल की कोशिशों का ही नतीजा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई और भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया. 


भूपेश बघेल अजीत जोगी की सरकार में (2000-2003 के दौरान)मंत्री भी रहे. बघेल रमन सरकार के खिलाफ खासे मुखर रहे. आज बघेल के नेतृत्व में कई शानदार योजनाएं चल रही हैं, जिनमें राजीव गांधी न्याय योजना, गोधन न्याय  योजना आदि प्रमुख हैं. इनकी मदद से राज्य के गरीबों की जिंदगी में बड़े बदलाव आए हैं.