चाकुबाजों की गिरफ्त में छत्तीसगढ़ की न्यायधानी! पुलिस सख्त, लेकिन नहीं घटे मामले, विपक्ष हमलावर
छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर और प्रदेश की न्यायधानी कहे जाने वाला बिलासपुर इन दिनों चाकुबाजों की गिरफ्त में आ गया है. स्थिति ये है कि 7 माह में करीब 110 चाकूबाजी के मामले रजिस्टर हो चुके हैं. मतलब औसतन 17 से 20 मामले चाकूबाजी के हर माह थानों में दर्ज हो रहे हैं.
शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर: प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर न्यायधानी बिलासपुर भी अब चाकुबाजों के गिरफ्त में आ गया है. शहर में तेजी से चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ रही हैं. चाकूबाज बेखौफ वारदात को अंजाम दे रहे हैं. स्थिति ये है कि 7 माह में करीब 110 चाकूबाजी के मामले रजिस्टर हो चुके हैं. मतलब औसतन 17 से 20 मामले चाकूबाजी के हर माह थानों में दर्ज हो रहे हैं, जिसमें अधिकांश मामलों में नशा वारदात का एक बड़ा कारण बनकर सामने आया है.
नशे के बढ़े कारोबार के कारण बढ़े अपराध
न्यायधानी में पब पार्टी के साथ नशे का भी जमकर कारोबार किया जा रहा है. इस नशे के साथ ही अपराध के ग्राफ में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. जेब में स्टाइलिश चाकू लेकर लोग घूमने लगे हैं. यहीं नहीं इसी चाकू का इस्तेमाल बाद में वारदात में भी किया जा रहा है. घर, परिवार, दोस्त, आपसी रंजिश या छोटे विवाद में लोग बेखौफ चाकूबाजी की वारदात को अंजाम दे देते हैं.
7 माह में आए सवा सौ मामले
बिलासपुर में चाकूबाजी के बीते 7 माह के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि न्यायधानी भी चाकुबाजों के गिरफ्त में आ गई है. जनवरी से लेकर जुलाई के अंतिम तक 7 माह में करीब सवा सौ मामले चाकूबाजी के रजिस्टर हुए हैं. मतलब औसतन 17 से 20 मामले चाकूबाजी के हर माह थानों में दर्ज हो रहे हैं. बढ़ते अपराध को लेकर पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने भी चिंता जाहिर की है. सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं.
फैक्ट फाइल: यहां देखें हर माह आने वाले चाकूबाजी, नशीली दवाएं और शराब के मामले
माह | चाकूबाजी | नशीली दवाएं | शराब |
जनवरी | 18 | 12 | 02 |
फरवरी | 11 | 06 | 03 |
मार्च | 12 | 07 | 03 |
अप्रैल | 27 | 18 | 02 |
मई | 19 | 15 | 03 |
जून | 13 | 10 | 02 |
जुलाई | 09 | 07 | 01 |
कुल (7 माह) | 110 | 75 | 17 |
पूर्व मंत्री ने सरकार पर साधा निशाना
पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने बढ़ते अपराध को लेकर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि राजनितिक प्रतिस्पर्धा के चलते अपराधी पनप रहे है. राजनीतिक संरक्षण के कारण अपराध बढ़ रहा है. नशाखोरी कारण अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन उस पर अंकुश नहीं है. क्या प्रदेश के गृहमंत्री, मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है. जब से कांग्रेस सरकार आई है, कानून व्यवस्था ठप है. सरकार का पहला कर्तव्य है, आम जनता की जान माल की सुरक्षा करना, लेकिन इस सरकार में ऐसा नही हो रहा.
पुलिस ने पकड़े अपराधी लेकिन, नहीं घटे मामले
आपराधिक घटनाओं के अधिकांश मामलों में नशा वारदात का एक बड़ा कारण बनकर सामने आया है. वारदात को अंजाम देने वाले करीब 80 प्रतिशत आरोपी नशे के आदि मिले हैं. हालंकि, अधिकांश मामलों में पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने में जरूर सफलता पाई है, जिनके खिलाफ धारा 307 और आर्म्स एक्ट की कार्रवाई की गई है, लेकिन उसके बावजूद चाकूबाजी की वारदात को रोकने और चाकुबाजों पर नकेल कसने में पुलिस नाकाम रही है.
बहरहाल बढ़ते अपराध पर जहां विपक्ष हमलावर है. वही पुलिस भी सुस्त नज़र आ रही है. यही वजह अपराधी बेखौफ घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. अब देखना होगा कि शहर में बढ़ते अपराध को रोकने की सरकार और पुलिस प्रशासन क्या कदम उठाती है.