Bilaspur News: पेंडेंसी में जनहित के मामलों पर हाईकोर्ट सख्त, अधिकारियों को दी 5 मार्च की तारीख
Bilaspur News: बिलासपुर में राजस्व मामलों की पेंडेंसी पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है और कलेक्टर के साथ ही अन्य अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है. अब कोर्ट ने तहसीलदारों से भी प्रकरणों की जानकारी मांगी है.
Bilaspur News: बिलासपुर। राजस्व मामलों की पेंडेंसी पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि जनहित के कामों को मजाक बना रखा है. आंख बंद कर बैठे रहते हैं क्या अफसर ? सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने अपना शपथ पत्र पेश किया. इसमें 700 प्रकरण निराकरण का दावा किया गया. अब चीफ जस्टिस ने तहसीलदारों से लंबित प्रकरणों की जानकारी मांगी है.
कोर्ट का कड़ा रुख
कोर्ट ने तहसील में डायवर्सन सहित अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार और पैसे दिए बिना काम नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों ने जनहित के कामों में मजाक बना रखा है. क्या हर छोटी चीज के लिए लोगों को क्या हाईकोर्ट आना पड़ेगा ?
कोर्ट का सवाल
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पूछा कि जब तीन महीने में डायवर्सन, नामांतरण के काम पूरे होते हैं तो साल भर क्यों लगता है ? अधिकारी क्या आप आंख बंद कर बैठे रहते हैं. चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने बिलासपुर कलेक्टर को उपस्थित होकर शपथ पत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा था.
कलेक्टर का जवाब
इस पर कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि बिलासपुर तहसील में डायवर्सन के कुल 781 मामले पेंडिंग थे, जिसमें से 720 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है. लापरवाही के मामले में 2 रीडर और एक पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया है.
याचिकाकर्ता का तर्क
कलेक्टर के शपथ पर याचिकाकर्ता ने कहा है कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद पिछले तीन दिनों में इन प्रकरणों पर फैसला लिया गया है जो महीनों से लंबित थे. यह एसडीएम कोर्ट का हाल है. यही हाल तहसील और दूसरे राजस्व न्यायालयों का है. 10 हजार से अधिक मामले पेंडिंग चल रहे हैं. अब कोर्ट ने तहसीलदारों से तहसील आफिस में लंबित प्रकरणों की जानकारी पेश करने कहा है और मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च की तारीख दी है.
क्या है मामला?
बता दें बिलासपुर की रोहणी दुबे ने स्थानीय तहसील कार्यालय में जमीन के डायवर्सन के लिए आवेदन किया था. तहसील में इस मामले की न तो सुनवाई हुई, न ही इसका निराकरण किया गया. इस बीच उन्हें मामला पैसों पर रुका है. इसपर उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में तहसील कार्यालय में एसडीएम की नाक के नीचे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.