छत्तीसगढ़ के इस जिले में हुई सबसे ज्यादा गौमूत्र की खरीदी, किसानों को हो रहा बड़ा फायदा
CG News: गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ में हो रही गौमूत्र की खरीदी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि इससे किसानों को कई फायदें मिल रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में गौमूत्र की खरीदी हो रही है, लेकिन एक जिला गौमूत्र खरीदी में सबसे आगे हैं.
CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में शुरू हुई गौमूत्र खरीदी की योजना का किसानों को फायदा मिल रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप राज्य सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का जांजगीर-चांपा जिले में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में बेहतर क्रियान्वयन हो रहा है, इसी का नतीजा है कि जांजगीर-चांपा जिले में अब तक प्रदेश में सर्वाधिक गौमूत्र की खरीदी की गई है. जो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा है.
9 हजार 2 सौ 28 लीटर गौमूत्र खरीदी
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा जिला 9 हजार 2 सौ 28 लीटर गौमूत्र खरीदी के साथ प्रदेश में प्रथम स्थान पर है, इसके साथ ही कलेक्टर के निर्देशन में जिले में गौमूत्र से फसलों में कीटनियंत्रक और वृद्धि के लिए ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद तैयार किया जा रहा है, जिससे जिले के किसान अधिकाधिक लाभान्वित हो रहे हैं. जिले में वर्तमान में 106 किसान गौमूत्र से बने उत्पाद जीवामृत एवं ब्रह्मास्त्र का लाभ ले रहें हैं. जिससे जिले के किसानों को खर्चीले रासायनिक कीटनाशकों से मुक्ति मिल रही है और वे जैव कीटनाशकों का उपयोग कर लाभन्वित हो रहे है.
महिलाओं को भी मिल रहा लाभ
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखण्ड अकलतरा के तिलई गौठान एवं विकासखण्ड नवागढ़ के खोखरा गोठान में चार रूपये प्रति लीटर की दर से अब तक 7 हजार 216 लीटर गोमूत्र खरीदी की जा चुकी है तथा गौमूत्र से बने उत्पाद ब्रह्मास्त्र का 106 किसानों के खेतों में प्रयोग कराया गया है, विकासखण्ड अकलतरा के तिलई गोठान के आरती स्व सहायता समूह की महिलायें गौमूत्र से जीवामृत वृद्धिवर्द्धक और ब्रह्मास्त्र कीटनाशक बना रही है. महिलाओं ने यहां जीवामृत 200 लीटर एवं ब्रह्मास्त्र 9 सौ 11 लीटर बनाकर 8 सौ 64 लीटर उत्पाद विक्रय से कुल 51 हजार 200 रूपये लाभ प्राप्त कर लिया है. इसी प्रकार विकासखण्ड नवागढ़ के खोखरा गोठान में सागर स्व-सहायता समूह की महिलायें गोमूत्र से कीटनाशक बनाने में जुटी हुई है. उन्होंने अबतक 9 सौ 74 लीटर ब्रह्मास्त्र (कीट नियंत्रक) एवं 400 लीटर जीवामृत (वृद्धिवर्धक) बनाकर विक्रय कर 64 हजार 700 रुपये का लाभ प्राप्त कर लिया है.
ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद का उपयोग करने वाले अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई निवासी किसान देवराज कुर्मी ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा उनके गांव के किसानों को इसके फायदे के संबंध में संगोष्ठी, कृषक परिचर्चा एवं मुनादी के द्वारा दी गई, इससे प्रभावित होकर उन्होंने अपने 3 एकड़ धान फसल में 3 बार 15-15 दिन के अंतराल में कीटनियंत्रण हेतु जैव कीटनाशक ब्रम्हास्त्र का छिड़काव किया है, इससे उन्होंने कीटों पर प्रभावी नियंत्रण पाया है तथा उनके फसल का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है.
इसी तरह अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई के किसान खिलेंद्र कौशिक (पिता रथराम कौशिक) बताते हैं कि इस वर्ष उन्होंने 4.50 एकड़ में धान फसल लगाया है, जिसमें 1 एकड़ में गौमूत्र से तैयार वृद्धिवर्धक का उपयोग किया है. इससे उनके धान फसल का स्वास्थ्य अच्छा है. पौधों में बढ़वार व कंसो की संख्या अन्य वर्षा की अपेक्षा अधिक है. इससे रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव से बचाव एवं भूस्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ भूमि में जीवांश में वृद्धि होने से उत्पादन लागत में कमी आयी है तथा फसल स्वास्थ्य अच्छा होने के साथ-साथ लगातार स्थिर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की अच्छी संभावना है.