रायपुर: छत्तीसगढ़ के विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. जानकारी के अनुसार, मंडावी धमतरी के सर्किट हाउस में वे रुके थे. यहीं सुबह अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल ले जाया जाता इससे पहले ही हृदय गति रुक गई. अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.


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सीएम ने जताया शोक
मनोज मंडावी के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष, वरिष्ठ आदिवासी नेता, भानुप्रतापपुर विधायक मनोज सिंह मंडावी जी के आकस्मिक निधन का समाचार हम सब के लिए बेहद दुखद है. ईश्वर उनके परिवारजनों को यह आघात सहने की शक्ति दे. दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं. ॐ शांति:


रमन सिंह ने व्यक्त की संवेदना
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मनोज मंडावी के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया 'छत्तीसगढ विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी जी के आकस्मिक निधन समाचार से निशब्द हूं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिजनों को इस कठिन घड़ी में धैर्य और संबल प्रदान करें.'


ऐसा शुरू हुई राजनीति
मंडावी कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर से कांग्रेस के विधायक थे. वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष भी थे. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 90 के दशक में युवा कांग्रेस से हुई थी. वो मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी बने. उसके बाद 1998 में पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और नया राज्य बनने के बाद वो छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य रहे.


पहली सरकार में बने थे मंत्री
नया राज्य बनने के बाद मंडावी अजीत जोगी की सरकार में पीडब्ल्यूडी और नगरीय प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी संभाली थी. वो तीन बार भानुप्रतापपुर विधानसभा से चुनकर आए थे और कांग्रेसियों की दिग्गज लिस्ट में उनका नाम था. 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी देवलाल दुग्गा को 27 वोट से पराजित कर चर्चा बटोरी थी. क्षेत्र में उनका काफी दबदबा था और वो लोगों के दिलों में राज करते थे. इसे कारण उनके निधन से मातम छाया हुआ है.


वरिष्ठ आदिवासी नेता के रूप में थी पहचान
मनोज मंडावी वरिष्ठ आदिवासी नेता थे. उन्होंने नवगठित छत्तीसगढ़ के गृह राज्यमंत्री और विधानसभा के उपाध्यक्ष सहित अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे और प्रदेश की सेवा की. वे वर्ष 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के और वर्ष 2013 और 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. मंडावी छत्तीसगढ़ आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष भी रहे. वो समाज की उन्नति और अपने क्षेत्र के विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहे.