अविनाश प्रसाद/बस्तर। छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला देशभर में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पिछले कई सालों से पुलिस और प्रशासन मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी पकड़ बना रहा है, पुलिस की सख्ती के चलते नक्सलियों को आसानी से हथियार नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे अब यहां नक्सलियों ने भी अपनी रणनीति और गतिविधियों में फेरबदल किया है, अब नक्सली खुद ही हथियार बना रहे हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आसानी से नहीं मिल रहे हथियार 
दरअसल, पुलिस ने नक्सलियों की गहरी पैठ वाले इलाकों में भी सुरक्षाबलों के नए कैंप खोलें हैं और इसी वजह से नक्सलियों की सप्लाई लाइन बाधित हुई है. नतीजतन नक्सल संगठन को दक्षिण भारत से मिलने वाले हथियार और गोला बारूद की सप्लाई की कड़ी टूटने लगी है, नक्सलियों को आसानी से हथियार नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में इस कमी की भरपाई का नया तोड़ नक्सलियों ने निकाल लिया है . 


नक्सली खुद बना रहे ग्रेनेड लॉन्चर
बताया जा रहा है कि नक्सली अब खुद ही ग्रेनेड लॉन्चर बना रहे है. कांकेर, नारायणपुर, बस्तर और बीजापुर से लगे अबूझमाड़ के जंगलों में नक्सली अपने कुछ कैंपों में अब देसी ग्रेनेड लॉन्चर का निर्माण करने लगे हैं. इस बात की पुष्टि सुरक्षाबलों के कैंपों में हाल ही में हुए नक्सल हमलों से हुई है. क्योंकि सुरक्षा बलों के कैंप पर हमले के लिए नक्सली इन हथियारों का प्रयोग कर रहे हैं, पुलिस का कहना है कि इनमें से कुछ में विस्फोट हुआ लेकिन कुछ फटे ही नहीं, यही वजह रही कि नई तरह की संरचना वाले यह गोला बारूद पुलिस के लिए जांच का विषय थे. जब इस बात की जानकारी निकाली तो पता चला कि नक्सली अपने सुरक्षित इलाकों में अपने कैंपों में देसी ग्रेनेड लॉन्चर बना रहे हैं. जिनकी मारक क्षमता लगभग 300 मीटर तक है और विस्फोट के बाद यह 10 से 15 मीटर के दायरे में मौजूद व्यक्ति की जान ले सकते हैं. 


इस तरह बना रहे ग्रेनेड लॉन्चर 
दरअसल, नक्सलियों ने देशी ग्रेनेड लॉन्चर बनाने के लिए अलग-अलग इलाकों से कच्चा माल मंगवाते हैं. इसके लिए अमोनियम नाइट्रेट की सप्लाई दूसरे राज्यों से करवा रहे हैं. लॉन्चर बनाने के बाद इन्हें राइफल में ही फिट कर 300 मीटर की दूरी तक पहुंचाया जाता है. खास बात यह है कि यह नुकसान भी बहुत करते हैं, 300 मीटर की रेंच अगर कोई इसके टारगेट में आता है तो उसकी जान चली जाती है. 


इन राज्यों से हो रही सप्लाई 
नक्सली दूसरे राज्यों से माल बुलवा रहे हैं, सबसे ज्यादा कच्चा माल उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से मगाया जाता है, क्योंकि दोनों राज्यों की बस्तर से दूरी भी कम है और कम समय में आसानी से पहुंच जाते हैं, बस्तर संभाग भर में संचालित अलग-अलग इलाकों से भी बारूद की आपूर्ति करते हैं. इसके अलावा नक्सली क्रेसरों में विस्फोट के लिए इस्तेमाल होने वाला बारूद भी लूट लेते हैं. कई बार डर के चलते क्रेशर संचालक इसकी सूचना पुलिस को नहीं देते है. इसके अलावा मछली मारने के लिए भी ग्रामीण विस्फोट का प्रयोग करते हैं और विस्फोट के लिए वे बारूद लेकर आते हैं जिसे नक्सली मांग लिया करते हैं या लूट लिया करते हैं. 


पुलिस की मुस्तेदी से से नक्सलियों के पास हथियारों की कमी 
बस्तर रेंच के आई जी पी सुंदरराज ने बताया कि पुलिस की मुस्तेदी पिछले कई सालों से नक्सलियों के पास हथियारों की कमी देखी जा रही है. पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते इस बार नक्सलियों का टीसीओसी लगभग खाली ही बीत गया. नक्सल संगठन हर वर्ष जनवरी से जून माह के बीच टेक्टिकल काउंटर ओफेसिव कैम्पेन चलाता है. इस दौरान जंगलों में पत्तों के सूख जाने की वजह से दृष्टिता बढ़ जाती है और ऐसे में नक्सली सुरक्षाबलों पर ऊपर वृहद हमले करते हैं. क्योंकि पहले इसी वक्त नक्सली सबसे ज्यादा हमला करते थे. लेकिन इस बार जून माह आ चुका है और नक्सली किसी भी बड़े हमले को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाए हैं. इसे पुलिस के बढ़ते दबाव और हथियारों की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है. नक्सलियों के कैंप में कई बार देसी हथियार पाए गए हैं जिन्हें सुरक्षाबलों ने बरामद किया है और कई कैंप ध्वस्त किए हैं, यह संभव है कि नक्सली स्थानीय स्तर पर देसी बमों का निर्माण कर रहे हो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है, समय-समय पर ऐसे बम बरामद किए गए हैं पुलिस अंदरूनी इलाकों में नए कैंप खोल रही है और नक्सलियों पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है. 


ये भी पढ़ेंः यूथ कांग्रेस में बढ़ा छत्तीसगढ़ का दबदबा, राष्ट्रीय स्तर पर नियुक्त हुए ये नेता


WATCH LIVE TV