Chhattisgarh IED Blast: छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल लगातार नक्सलियों का सफाया करने में लगे हैं. सुरक्षाबल चुन-चुन कर नक्सलियों का खात्मा कर रहे हैं, जिसके चलते नक्सलगढ़ के नक्सली बौखलाए हुए हैं.  सुरक्षाबलों के नक्सल विरोधी अभियान से बौखलाए नक्सलियों ने आज सेना की गाड़ी पर बड़ा हमला किया, जिसमें कई जवान शहीद हुए. नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर सेना की गाड़ी को निशाना बनाया. देखा गया है छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन ज्यादातर आईईडी से ही ब्लास्ट करते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ऐसा क्यों, कितना खतरनाक होता है आईईडी ब्लास्ट


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दरअसल, IED ब्लॉस्ट भी एक तरह का बम ही होता है. लेकिन यह मिलिट्री के बमों से कुछ अलग होता है. इसे सस्ता टिकाऊ बन भी कहा जाता है, क्योंकि ये कम पैसों में और आसानी से तैयार हो जाता है. इसी कारण छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा ज्यादातर IED का इस्तेमाल किया जाता है. सोमवार को भी आईडी ब्लॉस्ट का इस्तेमाल करके ही नक्सिलियों ने बीजापुर में सेना की गाड़ी पर अटैक किया है.


जानिए कितना खतरनाक होता है IED ब्लास्ट?
माओवादी  IED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान के लिए करता है. आईईडी में ज्यादा  घातक और तेज आग लगने वाले केमिकल का यूज होता है. इसलिए आईईडी ब्लॉस्ट होते ही मौके पर आग लग जाती है. इसे माओवादी सड़क के किनारे रखते हैं. इस पर जैसे ही पांव पड़ता है या गाड़ी का पहिया पड़ता है, यह ब्लॉस्ट हो जाता है. इसके अलावा आईईडी को ट्रिगर करने के लिए रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड ट्रिप वायर जैसे तरीकों का भी इस्तेमाल होता है. आईडी ब्लॉस्ट होने पर तुरंत भयंकर आग लग जाती है. ब्लास्ट में घुआं भी बड़ी तेजी से निकलता है, जो और नुकसान कर देता है.


नक्सली कैसे लगाते हैं आईडी
आईडी को ब्लॉस्ट करने के लिए माओवादी रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड या मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार्स या ट्रिप वायर जैसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. कई बार नक्सली सड़क के किनारे तार की मदद से आईडी को बिछाते हैं. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आज नक्सिली IED ब्लास्ट कर जवानों के गाड़ी पर हमला किया है. इस हमले में 8 जवान शहीद हो गए हैं. इसके अलावा एक ड्राइवर की भी जान गई है. सुरक्षाबल के जवान ऑपरेशन कर वापस लौट रहे थे. इसी दौरान माओवादियों द्वारा आईईडी ब्लास्ट कर सुरक्षा बल के वाहन को उड़ाया गया.


आईईडी ब्लास्ट से बचने के उपाय
नक्सली आईडी को मिट्टीतार के टुकड़े में हैं. ऐसे में जब भी जवान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पैदल चलें, तो ताजा मरम्मत हुई मिट्टी, पुआल, चमकीली वस्तु, सड़क के किनारे तार के टुकड़े नजर आएं, उससे दूर रहें. रास्ते में चढ़ाई होने वाले स्थानों पर सावधानी से चढ़ें. वहीं, लौटते समय दूसरे रास्ते का उपयोग करें.


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