मानसून के साथ बढ़ी ग्रामीणों की परेशानी, यहां जुगाड़ के पुल से चलती है जिंदगी
बारिश के मौसम में इन दिनों ग्रामीण अंचल के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुकमा जिले के नागलगुड़ा गांव से भी ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है, जहां ग्रामीणों की परेशानी की कहानी बता रही है.
रंजीत बारठ/सुकमा। मानसून का मौसम जितना खुशनुमा और सुहाना होता है उतना ही यह परेशानी और मुश्किलों भरा भी होता है, खासकर ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोगों के लिए. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से ऐसी ही एक तस्वीर आई है. जहां लोग जुगाड़ के पुल से इस पार से उस पार जाते हैं. क्योंकि गांव के पास बनी नदी का जलस्तर इतना बढ़ जाता है जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
नागलगुड़ा गांव के लोगों को होती है परेशानी
मानसून अपने सबाब पर हैं जिसके चलते लगातार हो रही बारिश से नदी-नाले पूरी तरह से उफान पर हैं. एक तरफ जहां अच्छी बारिश से लोग खुश हैं तो वही अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीण इससे परेशान भी हैं. क्योंकि गांव से बाहर आना-जाना मुश्किल हो रहा हैं, नदी नाले उफान पर हैं और उस पर पुल नहीं बना हैं, जो परेशानी की सबसे बड़ी वजह है. ऐसी ही एक तस्वीर सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित नागलगुड़ा गांव के पास देखने को मिलती हैं, यहां मलगेर नदी पर पुल नहीं हैं जिससे ग्रामीणों ने जुगाड़ का पुल लकड़ी से बनाया है.
मलगेर नदी के तट पर नागलगुड़ा गांव बसा हुआ हैं, यहां के कुछ ग्रामीणों के खेत नदी के उस पार हैं, लेकिन नदी पर पुल नहीं होने के चलते खेती किसानी प्रभावित होती हैं. साथ ही नदी के उस पार दो पंचायत के करीब आधा दर्जन गांव हैं. जहां पर नागलगुड़ा गांव के ग्रामीणों के रिश्तेदार रहते हैं, लेकिन वो इस पार नहीं आ पाते थे. इसके अलावा जरूरी सामान के लिए नागरगुड़ा के पास स्थित मानकापाल में लगने वाले सफ्ताहिक बाजार पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है.
ग्रामीणों ने तैयार किया पुल
आखिरकार ग्रामीणों ने खुद ही अपनी समस्या का समाधान करने का सोचा और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी कहावत को चरितार्थ करते हुए लकड़ी व तार के सहारे नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया हैं. जिसका उपयोग करके ग्रामीण नदी पार अपने खेतों में जाते हैं और जरूरी सामान के लाने ले जाने के लिए भी वह इसी पुल का इस्तेमाल करते हैं.
हालांकि बारिश के इस मौसम में लकड़ी के पुल पर निकलना बेहद जोखिम भरा होता है. क्योंकि जरा सी गलती ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी बन सकती है. ऐसे में सवाल यह हैं कि आखिरकार शासन-प्रसाशन इनकी समस्या नजर क्यों नहीं आयी. जुगाड़ का पुल ग्रामीणों ने बना तो लिया हैं लेकिन यह खतरनाक हैं पुल पर चलने के दौरान यह बुरी तरह हिलता हैं बच्चों के साथ पार करना खतरनाक हैं.
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