Chhattisgarh CM Vishnudev Sai: छत्तीसगढ़ में जब से बीजेपी ने विष्णुदेव साय का चयन मुख्यमंत्री पद के लिए किया है, तभी से एक परिवार की चर्चा फिर से राज्य की राजनीति में हो रही है, ये परिवार है राज्य में बीजेपी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव का जिन्हें विष्णुदेव साय का राजनीतिक गुरू भी माना जाता है. शपथ ग्रहण से पहले नए सीएम ने जूदेव परिवार से मुलाकात की है. इस दौरान एक बड़ा बयान दिया. युद्धवीर सिंह जूदेव दिलीप सिंह जूदेव के छोटे बेटे थे, जिनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. 


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हमने साहब से विनम्रता सीखी है: सीएम साय 


दरअसल, छत्तीसगढ़ के चौथे सीएम बनने जा रहे विष्णुदेव साय ने अपने राजनीतिक गुरू और बीजेपी के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव के परिवार से मुलाकात की. जहां जूदेव परिवार ने उन्हें मिठाई खिलाकर नई जिम्मेदारी की बधाई दी. मुलाकात के बाद विष्णुदेव साय ने कहा 'हमने कुमार साहब से सीखा है कि विनम्रता कैसी होती है, कार्यकर्ताओं का सम्मान कैसे किया जाता है, यह सब गुण हमने उन्हीं से सीखा है. परिवार से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया है.' दिलीप सिंह जूदेव के परिवार के लोगों ने भी विष्णुदेव साय का स्वागत कर उन्हें बधाई दी. 


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साय के राजनीतिक गुरू रहे हैं दिलीप सिंह जूदेव 


बता दें कि छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से आने वाले विष्णुदेव साय का जूदेव परिवार से पुराना संबंध रहा है. उन्हें सक्रिए राजनीति में लाने का श्रेय भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीयमंत्री दिलीप सिंह जूदेव को ही जाता है. बताया जाता है कि विष्णुदेव साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ग्राम पंचायत बगिया के सरपंच पद से की थी. इसी दौरान पहली बार विष्णुदेव साय की मुलाकात दिलीप सिंह जूदेव से हुई थी. इसके बाद दोनों की जोड़ी छत्तीसगढ़ की सियासत में आगे बढ़ने लगी. 1990 में साय पहली बार तपकरा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. उस वक्त वह महज 26 साल के थे. बताया जाता है कि विष्णुदेव साय को दिलीप सिंह जूदेव अपना छोटा भाई मानते थे और सबसे भरोसेमंद साथी भी थे.


दोनों परिवारों के बीच मजबूत संबंध 


2013 में  दिलीप सिंह जूदेव के निधन के बाद भी विष्णुदेव साय का संबंध का जशपुर राजपरिवार से मजबूत बना हुआ है. ऐसे में जब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली है तो एक बार फिर से दोनों की चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है. विष्णुदेव साय बेदाग छवि और अनुशासित रहना ही उन्हें आगे बढ़ाता जा रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया था. बाद में 2022 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटाया गया. लेकिन वह संगठन के काम में जुटे रहे. ऐसे में उन्हें ईनाम में राज्य का सबसे बड़ा पद मिला है. 


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