Chhattisgarh Hareli Festival: बचपन का दौर हर इंसान के लिए खुशनुमा होता है. खासतौर पर त्योहारों के मौकों पर अक्सर बचपन की यादें ताजा हो जाती है. हरेली तिहार के मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्म पत्नी कौशल्या साय ने भी अपने बचपन की यादें जी मीडिया को सुनाई. इस दौरान उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा में हरेली तिहार का भी मतलब बताया. उन्होंने कहा कि यह त्योहार जितना पारंपरिक उतना ही शारीरिक विकास का महत्व भी हमें समझाता है. हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है, जो हमें बहुत कुछ सिखाता है. 


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प्रकृति का त्योहार है 


कौशल्या साय ने कहा कि हरेली तिहार पर मुख्यमंत्री निवास में यह हमारा पहला पूजन रहा, यह दिन पूरे प्रदेश के लिए खास होता है. यह प्रकृति का त्योहार है, इसलिए कृषि कार्य मे उपयोग आने वाले यंत्रों का पूजन किया किसान भाई भी अब वैज्ञानिक तरीके से कृषि कर रहे जो देखकर अच्छा लगता है. सभी धूमधाम से हरेली तिहार भी मनाते हैं और आगे भी बढ़ते हैं. 



बचपन की यादें हुई ताजा 


हरेली में बचपन की यादें ताजा करते हुए कौशल्या साय ने कहा कि बचपन में वह भी गेड़ी चढ़ी हैं, उन्होंने खूब गेड़ी खेली हैं, गिल्ली डंडा, कंचा और चुपन छुपाई खेली हैं, आज पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना चाहिए. क्योंकि आजकल के बच्चों के पास मोबाइल फोन है, जिससे बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा, पहले हम पारंपरिक खेल खेलते थे. उससे शरीर का व्यायाम भी होता था, गली मोहल्ले में खेलकर शरीर को बेहतर करते थे. जिम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी. आज भी हमें यह सब करना चाहिए. 



चुटकला या मजाक करना अच्छा 
 
सीएम साय की पत्नी ने बताया कि वह बचपन से ध्यान और पूजा कर रही हैं, किसी भी कार्य से पहले शिव, गणेश और देवी स्तुति करती हैं. साय सरकार को लेकर कहा कि महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं के खाते में पैसा जा रहा है, सुशासन में साय सरकार इसी तरह आगे बढ़ते रहे. वहीं अपने भाषण को लेकर कहा कि बीच बीच में चुटकला या मजाक करती हैं. ताकि लोग बैठकर उनकी पूरी बात सुन सके. 



हर साल की तरह इस साल भी छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार की धूम रही. छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में हरेली तिहार का आयोजन किया गया. अलग-अलग कार्यक्रमों में सरकार के मंत्री और विधायक भी शामिल हुए.