दुर्ग:  पिछले साल एक फिल्म आई थी गुंजन सक्सेना जिसमें एक बेटी एयरफोर्स (Indian Air Force) में पायलट बनना चाहती है और उसके पिता भी उसके सपने को पूरा करने में अपनी जी जान लगा देते हैं. यह कहानी जितनी फिल्में थी उतनी ही छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रह रहे एक बाप-बेटी के लिए असली भी थी. क्योंकि इस फिल्म के आने के कई साल पहले से एक बेटी आसमान में उड़ना चाहती थी तो उस के पिता उसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे थे. फ़िल्म देखने के बाद मानो उनके हौसले और भी बड़े हो गए हो कि वाकई यह संभव है क्योंकि पिता भी चाहते थे कि बेटी एयरफोर्स ज्वाइन कर देश की सेवा करें और राज्य का नाम रोशन करें.


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दुर्ग की निवेदिता शर्मा का चयन एयरफोर्स में हुआ हैं. वह जल्द ही हैदराबाद जाकर ट्रेनिंग सेशन का हिस्सा बनेगी. दरअसल स्कूल के दिनों में पापा के दोस्त ने निवेदिता की एक कर्नल साहब से मुलाकात कराई और उन्होंने एयरफोर्स में जाने का रास्ता सुझाया. बस निवेदिता ने तब से ठान लिया एयरफोर्स ज्वाइन करना ही जीवन का लक्ष्य है. स्कूल में अकाउंट का सब्जेक्ट लेकर पढ़ने वाले निवेदिता ने स्कूल के बाद कॉलेज में एडमिशन लिया तो एनसीसी एयरविंग ज्वाइन की. 


तीसरी बार में मिली सफलता
पहली बार पैराशूट के साथ 15 हजार किलोमीटर ऊंचाई से छलांग लगाई तो आसमान में उड़ने का सपना पूरा हुआ पर इस सपने को हमेशा के लिए साकार करने एयरफोर्स के अधिकारियों ने रास्ता दिखाया और निवेदिता ने जी तोड़ मेहनत भी की हैं. खूब मन लगाकर पढ़ाई की. तीसरे प्रयास में परिणाम आया पहले लिखित परीक्षा हुई इसका रिजल्ट आया तो निवेदिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पूरे छत्तीसगढ़ से सिर्फ निवेदिता का ही चयन हुआ था. निवेदिता जब ज़ी मीडिया को अपनी सफलता की कहानी बता रही थी तो उसकी आंखों की चमक और झलकता आत्मविश्वासन बता रहा था कि मेहनत करने वालों को सफलता देर से ही सही पर मिलती जरूर है.


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पिता ने किया मोटिवेट
दुर्ग के खंडेलवाल कॉलोनी की रहने वाली मात्र 21 साल की निवेदिता ने शासकीय गर्ल्स कॉलेज से बीकॉम किया था. निवेदिता ने बताया कि एनसीसी एयरविंग ज्वाइन करने के बाद उसमें गजब का कॉन्फिडेंस आया और देश सेवा का जज्बा भी वहीं से जागृत हुआ. निवेदिता के पिता अशोक शर्मा ने बताया कि मैंने इसे मोटिवेट किया और मेरी बेटी निवेदिता ने भी एयरफोर्स को गोल की तरह माना और मेहनत करके उस मुकाम पर पहुंची है. आज पूरे परिवार को निवेदिता पर गर्व है. 


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