Deepak Chandrakar Passes Away: छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी दीपक चंद्राकर का गुरुवार को निधन हो गया. 69 साल की उम्र में उन्होंने रायपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. बालोद जिले के ग्राम अर्जुंदा निवासी लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक व संचालक दीपक चंद्राकर का अंतिम संस्कार 20 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे उनके गृह ग्राम अर्जुंदा में किया जाएगा. उनके निधन की समाचार मिलते ही छत्तीसगढ़ कला क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है.


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नाचा विधा को बढ़ाने रहा महत्वपूर्ण योगदान
दीपक चंद्राकर लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक थे. उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक कला, लोक पर्व और लोक संस्कृति को दीगर राज्यों के अलावा पूरे देश में सम्मान दिलाया. उन्होंने विभिन्न रंग मंचों में इसकी प्रस्तुति दी. उन्होंने छत्तीसगढ़ में राम हृदय तिवारी के साथ रंग मंच किया. वे खुमान लाल साव के साथ द्वायम दर्ज के रंग मंच करने वाले कलाकार थे. देशभर में नाचा विधा को बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. 


रखी लोकरंग अर्जुंदा की नींव
दीपक चंद्राकर ने दाऊ रामचंद्र देशमुख के चंदेनी गोंदा की समृद्ध कला लोक पर्व और लोक संस्कृति को कला के माध्यम से फैलाया. उन्होंने दिल्ली और उज्जैन में भी कार्यक्रम किया. छत्तीसगढ़ की संस्कृति को फैलाने और देशभर में लोकरंग अर्जुंदा की नींव रखने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. छत्तीसगढ़ में लोक रंग अर्जुंदा एक प्रमुख ऐसी रंगमंच कराने वाली टीम थी, जो पूरे भारत का भ्रमण कर चुकी थी.


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लोककला ग्राम की स्थापना 
दीपक चंद्राकर ने ग्रामीण प्रतिभाओं की कला को निखारने के लिए 2 अक्टूबर 1993 को अपने ग्राम अर्जुंदा में करीब पौने दो एकड़ में लोककला ग्राम की स्थापना की और तब से अनवरत यहां साल में दो-तीन बार पखवाड़े भर की कार्यशालाएं होती आ रही हैं. यहां नए कलाकारों को लोककला की सभी विधाओं की बारीकियां फ्री में सिखाई जाती हैं. दीपक का मानना था कि रीति-रिवाज, संस्कार, पर्व, परंपराएं, उत्सव आदि हमारी संस्कृति के अंग हैं.


दीपक ने 700 से ज्यादा कलाकारों को विभिन्न कलाएं जैसे- नृत्य, प्रहसन, गायन, वादन सीखाईं, जो आज अलग-अलग जगह प्रस्तुति दे रहे हैं.