कोरिया: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का काफी बड़ा महत्व है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. ऐसे में हम आपको छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला मुख्यालय से 160 किलोमिटर भरतपुर विकासखंड में बसा एक गांव ग्राम घघरा की स्टोरी बताएंगे. जहां इस मंदिर में अब इंसानों के साथ साथ भूत भी शिव की आराधना करते हैं.


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इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि त्रेता युग में 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान श्रीराम जब छत्तीसगढ़ में प्रवेश हुए थे. उन्होंने घाघरा में शिव मंदिर की स्थापना की और पत्थरों से मंदिर बनाकर वहां पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की आराधना की थी. 


कहा हैं ये मंदिर?
यह प्राचीन शिव मंदिर राम वन गमन पथ सीतामढ़ी हरचौका से 40 किमी दूर है. यहां गांव वालों की मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ 1 रात और 2 दिन यहां आकर रुके थे और उनके द्वारा ही यहां पर तीन शिवलिंग की स्थापना की गई थी. आस्था के कारण पूरे साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं. मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है, इसकी ऊंचाई लगभग 50 फीट पर है. बड़े-बड़े पत्थरों को एक के उपर एक रखकर बनाया गया है. यहीं नहीं मंदिर के हर पत्थर में कई कलाकृतियां बनी हुई है.


वहीं सन 1858 में भूकंप आने के कारण मंदिर का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. मंदिर के आस-पास कई बड़े पत्थरों में धार्मिक कलाकृतियों उकेरी गई है, जो जीर्णशीर्ण अवस्था में विखरी पड़ी है. इतनी दुर्लभ कलाकृतियों को पुरातत्व विभाग अभी तक सहेज कर रखने में नाकाम साबित हुआ है. सरकार इस धरोहर को रखरखाव होना चाहिए.


एक रात में भूतों ने बनाया मंदिर
ग्राम घाघरा के पुजारी का मानना हैं कि भगवान भोलेनाथ ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिन्हें भूत पिशाच भी अपना आराध्य मानते हैं. इस मंदिर का नाम भूतनाथ महादेव के नाम से जाना जाता हैं. इंसानों के साथ-साथ यहां भूत भी भगवान शिव की साधना करते हैं. इस शिव मंदिर का निर्माण भूतों ने ही एक रात में किया है. हालांकि ज़ी न्यूज ऐसी कोई पुष्टि नहीं करता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने ही किया है. 


पुरातत्व विभाग ने बताई मंदिर की कहानी..
पुरातत्व जानकार विद्याधर गर्ग का कहना हैं कि ग्राम घाघरा में प्राचीन काल का जो मंदिर है, वहां के गांव वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. यहां पहले कलचुरी राजाओं का शासित था, इसके पहले छेदी वंश राजाओं का शासित था. जिस प्रकार से यहां पर कलाकृति मिल रही है, उस आधार पर पुरातत्व के लोगों का मानना है कि कलचुरी राजा या छेदी वंश राजा के द्वारा यह मंदिर का निर्माण किया गया था.


मंदिर के अंदर उसे समय कोई मूर्ति नहीं थी. यह भी मान सकते हैं कि उसे समय बौद्ध धर्म के लोग द्वारा या मंदिर को बनाया गया होगा. मंदिर में पहले शिवलिंग स्थापित नहीं था, बाद में गांव वालों के द्वारा वहां पर शिवलिंग स्थापित कर दी गई है. यह बहुत ही अद्भुत प्राचीन मंदिर है. पुरातत्व विभाग के द्वारा इसकी खोज की जाएगी और रेडियो कार्बन डेटिंग से इसका पता चल जाएगा. उसके बाद इस मंदिर के रहस्य लोगों के सामने आ जाएंगे.


रिपोर्ट- सरवर अली