जितेंद्र कंवर/जांजगीर-चांपा: जिले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण संरक्षण मंडल के मापदंडों की अवधि समाप्त हो गई है. वर्तमान में केवल सात स्वीकृत रेतघाट की ही अवधि बची है. जबकि शेष रेत घाटों का ठेका समाप्त हो चुका है. ठेका समाप्त हो चुके रेत घाटों से रेत का अवैध खनन हो रहा है. लेकिन इसे रोकने के लिए न जिला प्रशासन ध्यान दे रहा है और न खनिज विभाग कोई कार्रवाई कर रहा है.


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अवैध उत्खनन जोरों पर
बरसात के बाद नदियों में पानी कम होने और प्रतिबंध की अवधि समाप्त होने के बाद से महानदी, हसदेव और सहायक नदियों की रेतघाटों में अवैध उत्खनन का कार्य जोरों पर है. जांजगीर-चांपा और सक्ती जिले को मिलाकर शासन द्वारा 33 रेतघाटों को उत्खनन के लिए ठेके पर दिए गए थे. इसमें से 26 रेत घाटों का ठेका समाप्त हो चुका है, जबकि शेष सात रेत घाटों का ठेका जनवरी 2023 तक पूरा हो जाएगा. जिन घाटों की निविदा अवधि समाप्त हो गई है. उसके लिए खनिज विभाग द्वारा तय मापदंडों के अनुसार नए सिरे से निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी. मगर अभी इसमें समय लगेगा. लेकिन इसका पुरा फायदा रेत माफिया उठा रहे हैं.


रेत माफिया कर रहें कालाबाजारी
बता दें कि निविदा अवधि समाप्त हो चुके घाटों से धड़ल्ले से रेत उत्खनन कर बिक्री की जा रही है. मगर इसे रोकने न तो जिला प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है और न ही खनिज विभाग कोई कार्रवाई कर रही है. रेतघाट बंद होने का बहाना बनाकर रेत माफिया की कालाबाजारी कर रहे हैं. खनिज विभाग द्वारा मानसून के दौरान 15 जून से 15 अक्टूबर तक चार महीने के लिए रेतघाट को बंद कर उत्खनन व परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. हालांकि इसके बाद भी जिले के अधिकांश रेतघाटों में पूरे समय रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन होते रहता है. इसको रोक पाने में जिला खनिज विभाग पूरी तरह से नाकाम रहा है.


इन घाटों के ठेके हो चुके हैं समाप्त
राज्य सरकार द्वारा तीन साल पहले नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतों से घाट लेकर निजी लोगों को दो साल के लिए ठेका में दिया गया था. इस पर दिया गया एक्सटेंशन भी अब समाप्त हो गया है. वर्तमान में केवल सात रेतघाटों की अवधि 2023 तक बची है. दूसरी तरफ,स्वीकृत घाट के अलावा भी कई स्थानों पर अवैध रेतघाट चल रहे हैं. जिले के शिवरीनारायण, देवरी, खोरसी, तनौद, बलौदा, चांपा, बम्हनीडीह, केबिर्रा, डभरा, चंद्रपुर क्षेत्र के अधिकांश रेतघाटों के ठेके समाप्त हो चुके है. लेकिन इन घाटों से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन का कार्य जोरों से चल रहा है.