सतीश तंबोली/कवर्धाः धार्मिक लिहाज से सावन का महीना का काफी महत्वपूर्ण है. सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा होती है. आज सावन के शिवरात्रि के दिन सभी शिवालयों श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखी जा रही है. कबीरधाम जिले में कवर्धा शहर से 18 किलोमीटर दूर भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर मैकल पर्वत समूह के गोद में स्थित है. आज सावन माह के पहली शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ देखी जा रही है. आज सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है.


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भोरमदेव मंदिर के आसपास पेड़ पौधों की हरियाली खुशनुमा वातावरण का निर्माण करती है. यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है. इसकी बाहरी दीवारों पर कामुक मुद्रा वाली मूर्तियां हैं, जो बहुत ही सुंदर तरीके से उकेरा गया है. यह सभी मूर्तियां कामसूत्र के विभिन्न आसन से प्रेरित हैं. इन्हीं कामुक मूर्तियों की वजह से भोरमदेव मंदिर को खजुराहो के मंदिर और स्थापत्य कला के कारण उड़ीसा के सूर्य मंदिर से इसकी तुलना की जाती है. इस मंदिर को 1089 ई. में फणी नागवंशी शासक गोपाल देव ने बनवाया था.


इस मंदिर के गर्भगृह में मुख्य रूप से शिवलिंग की मूर्ति है. इसके अलावा भगवान विष्णु के अवतार की मूर्तियां और अष्टभुजी गणेश जी की नृत्यरत मूर्ति, काल भैरव इत्यादि के मूर्ति देखने को मिलता है. आज सावन माह की शिवरात्रि है. ऐसे में कबीरधाम जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश भर के अन्य क्षेत्रों से भी श्रद्धालु आज भोरमदेव मंदिर पहुंच रहे हैं और भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन के साथ जलाभिषेक कर रहे हैं.


सावन माह की शिवरात्रि को लेकर भक्तों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है.  बाबा भोरमदेव के मंदिर में कांवरिया भक्त अमरकंटक से पवित्र नदी नर्मदा का जल लाकर भगावान शंकर का जलाभिषेक कर रहे हैं. श्रद्धालुओं की ऐसी आस्था है कि जो सावन के शिवरात्रि व सोमवार को नर्मदा नदी से पवित्र जल लाकर भगवान भोले की आराधना करते हैं उनकी हर मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूरी करते हैं. 
 


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आपको बता दें कि भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से मशहूर है और यहां हर दिन हजारों की संख्या में दर्शन करने पहुंचते है. जिला प्रशासन के द्वारा भोरमदेव पद यात्रा की शुरुआत वर्ष 2008 से की गई है. कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज सावन के पहले सोमवार पर शहर के पंचमुखी बूढ़ामहादेव से भोरमदेव मंदिर के लिए पद यात्रा निकाली जाएगी. जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. वहीं यात्रा के दौरान समनापुर, रेंगाखार खुद, छापरी में कांवरियों की रुकने की व्यवस्था की गई है. 


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