Chhattisgarh News: ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं नहीं कर सकतीं. महिलाएं हर काम को बड़े उत्साह से करने में आगे आ रही हैं. इसी कारण छत्तीसगढ़ में महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए चौतरफा प्रयास किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में कोंडागांव जिले की आदिवासी महिलाएं मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं. दरअसल, यहां गांव की आशा कार्यकर्ता मन लगाकर किताबें पढ़ रही हैं, ताकि मरीजों की बीमारी का पता लगाकर उन्हें बेहतर इलाज के लिए अस्पताल ले जा सकें और छोटी-मोटी बीमारी होने पर उन्हें दवा दे सकें.


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इन बीमारियों का कर रहीं इलाज
किताबें पढ़ने के बाद आदिवासी महिलाएं गांव में लोगों का बीपी, मलेरिया, ब्लड प्रेशर, गर्भावस्था परीक्षण और हर छोटी बीमारी का इलाज करने लगी हैं. ये सभी महिलाएं सरकार की मंशा के अनुरूप गांव के अंतिम छोर तक लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की जिम्मेदारी निभा रही हैं. इनमें कई की उम्र 70 साल से भी अधिक तो कुछ ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है. कुछ पांचवी तक तो कुछ बिल्कुल ही अनपढ़ हैं. 


महिलाएं किताबों से सीख रही हैं
बेहतर इलाज कैसे किया जाए इसकी सीख के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक किताब प्रकाशित की गई है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह ने बताया कि हमारी ये मितानिनें हमारी साख हैं. ये गांव के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिनमें से कई लोग अशिक्षित भी हैं. जो महिलाएं पढ़ नहीं सकतीं, उन्हें तस्वीरों के जरिए हर छोटी-मोटी बीमारी की पहचान सिखाई जा रही है. उन्हें गोलियों के रंग बता कर प्रशिक्षित किया गया है कि किस रंग की गोली किस काम के लिए दी जायेगी.


फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में किया उत्कृष्ट कार्य
गौरतलब है कि इससे पहले भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की आदिवासी महिलाओं को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित भी किया गया था. इन आदिवासी महिलाओं को फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर नई दिल्ली में सम्मानित किया गया था. कृषि खाद्य उत्पादों के निर्माण और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई के राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने यह अवार्ड प्रदान किया था.