Korba News: 45 साल पहले NTPC को दी जमीन, आज तक नहीं मिला नौकरी व मुआवजा; अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे लोग
कोरबा में NTPC द्वारा राखड़ बांध बनाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. उन्हें इसके मुआवजे के साथ नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन नौकरी न मिली. जिसको लेकर भू-विस्थापित अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए हैं.
नीलम दास पड़वार/कोरबाः छत्तीसगढ़ के कोरबा (Korba) जिले में एक बार फिर एनटीपीसी (NTPC) मैनेजमेंट के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया है. भू-विस्थापित (land displaced) नौकरी और मुवावजे की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने (Indefinite Strike) पर बैठ गए हैं. भू-विस्थापित ग्रामीणों का आरोप है कि 1978-79 में राखड़ बांध बनाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. उस वक्त सभी खातेदारों को नौकरी देने का वादा किया गया था, मगर एनटीपीसी मैनेजमेंट अब अपने वादे से मुकर गया है.
आपको बता दें कि तानसेन चौक पर अपने परिवार के साथ धरने पर बैठे ये लोग सन 1978- 79 में NTPC प्रबंधन द्वारा किए गए जमीन अधिग्रहण के भूविस्थापित है. 44-45 साल पहले नौकरी और मुआवजे की आस में इन्होंने अपनी खेतिहर जमीन एनटीपीसी मैनेजमेंट के नाम कर दी. जमीन दिए चार दशक से अधिक का वक्त गुजर गया है. मगर आज भी ये लोग नौकरी के लिए भटक रहे हैं.
जानिए पूरा मामला
दरअसल चारपारा कोहडियां में रहने वाले करीब 300 किसानों का सैकड़ों एकड़ जमीन 1978-79 में एनटीपीसी द्वारा अधिग्रहित किया गया था. उस दौरान सभी खातेदारों के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने का वादा मैनेजमेंट ने किया था. मगर 45 से साल बीत जाने के बावजूद महज 38 परिवार के लोगों को ही नौकरी दी गई साथ ही कई परिवारों को जमीन के मुवावजे की राशि भी नही मिली है. इसकी गुहार इन्होंने कलेक्टर से भी की पर अब तक कोई सार्थक पहल जिला प्रशासन की ओर से भी नहीं मिला. इन्हीं वजहों से भू-विस्थापित अनिश्चितकालीन धरने का रुख किया. आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया है कि ये आर-पार की लड़ाई है. एनटीपीसी मैनेजमेंट लगातार उन्हें गुमराह करता रहा है. मगर अब ये लोग किसी के छलावे में नहींम आएंगे. जब तक कोई पहल नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
भू-विस्थापितों ने फिर से खोला मोर्चा
गौरतलब है की कुछ माह पहले भी अपनी मांगों को लेकर भू विस्थापितों के 8 परिवारों ने आंदोलन किया था. उस दौरान आंदोलनकारी, NTPC प्रबंधन और जिला प्रशासन की त्रिपक्षी वार्ता में एनटीपीसी ने जल्द ही इस ओर पहल करने की बात कही थी, मगर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया. इस बात से नाराज भू-विस्थापितों ने फिर से एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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