शैलेन्द्र सिंह/बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के पहाड़ी कोरवा का दो परिवार जंगल मे झोपड़ी बनाकर रहने पर मजबूर हैं. एक परिवार को अभी तक प्रधानमंत्री आवास ही नहीं मिला तो दूसरे परिवार का आवास नदी के मुहाने पर बना दिया. जो कभी भी मिट्टी के कटाव की चपेट में आ सकता है. इस तरह से कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र मौत के मुहाने पर पहुंच गए हैं.


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नदी किनारे बना दिया पीएम आवास
पूरा मामला बलरामपुर जनपद पंचायत के खटवा बरदर ग्राम पंचायत का है. यहां पर रहने वाले भोलू कोरवा और उनके माता पिता जंगल मे अलग-अलग झोपड़ी बनाकर बीते कई बर्षो से रह रहे हैं. साल 2016-17 में भोलू कोरवा के नाम से प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिली थी, लेकिन भोलू के पास खुद की कोई जमीन नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत ने व्यवस्था के तहत भोलू के आवास निर्माण के लिए जमीन तो उपलब्ध करवाई थी, लेकिन वो भी नदी किनारे.


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कभी भी हो सकता है हादसा
नतीजन भोलू के आवास का निर्माण नदी के किनारे पर करवा दिया गया. जहां पर लगातार मिट्टी का कटाव होते जा रहा है और आवास कभी भी नदी के आगोश में समा सकता है. इसी वजह से भोलू कोरवा आजतक अपने प्रधानमंत्री आवास में रहने नहीं आया. फिहलाल भोलू अपने चार बच्चों को लेकर जंगल में ही झोपड़ी बनाकर रहने पर मजबूर है.


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जंगल में रहने को मजबूर है बुजुर्ग
भोलू कोरवा के बुजुर्ग माता पिता के नाम पर अब तक प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति ही नहीं मिल पाई है, जिसके कारण दोनों बुजुर्ग भगवान के ऊपर भरोसा जताते हुए जंगल मे रहने पर मजबूर हैं. भोलू के परिजनों ने बताया कि जंगल मे सांप बिच्छू के अलावा जंगली जानवरों का भी खतरा रहता है, लेकिन मजबूरी ऐसी है कि कहीं दूसरे जगह घर भी नहीं बना सकते हैं.


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मामला गरमाने पर अधिकारी ने दिया आश्वसन
इस पूरे मामले में गांव के सरपंच और सचिव सिर्फ कोरा आश्वासन दे रहे हैं, जिस कारण कोरवा परिवार जंगल में जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं. जंगल मे रह रहे कोरवा परिवार को सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ तो दिया जा रहा है, लेकिन रहने के लिए छत की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. अब मामला सामने आने पर जनपद पंचायत के सीईओ ने भोलू कोरवा के आवास को सुरक्षित करने के लिये नदी पर रिटर्निंग वाल निर्माण करना के प्रस्ताव तैयार कराने की बात कही है.