बालोदः बालोद जिले में अगर कोई किसान खेत में काम करते करते अचानक पुलिस जैसी वर्दी पहनकर किसी विवाद को सुलझाने जाता दिख जाए तो चौंकिएगा मत! दरअसल ये लोग मांझी सरकार के सैनिक हैं और मांझी सरकार आदिवासियों की खुद की सरकार है. आजादी के इतने सालों बाद भी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में मांझी सरकार का असर है और वहां के मामले मांझी सरकार के सैनिक गांधीवादी तरीके से सुलझाते हैं. मांझी सरकार में आम सरकार की तरह ही मंत्री, संतरी और पुजारी हैं. 


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बता दें कि मांझी सरकार की स्थापना स्वर्गीय हीरा सिंह देव कांगे उर्फ कंगला मांझी ने की थी. कंगला मांझी गोंड आदिवासी समुदाय से थे. महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर कंगला मांझी ने आदिवासी इलाकों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी समानांतर सरकार बना ली थी. मांझी सरकार से जुड़े लोग बताते हैं कि आजादी के बाद आदिवासी समुदाय को उसका हक नहीं मिला, जिसकी वजह से 'श्री मांझी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक' सरकार आज भी काम कर रही है. 


हर साल 5 दिसंबर को बालोद के गांव बाघमार में कंगला मांझी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. यहीं पर कंगला मांझी की समाधि है. दोपहर में पारंपरिक पूजा अर्चना के बाद मांझी सरकार के लोगों ने अपने संस्थापक के समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. साथ ही कंगला मांझी के बताए मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया. इस मौके पर कंगला मांझी की पत्नी फूलवा देवी, बेटे कुंभ देव व अन्य परिजन मौजूद रहे. बता दें कि कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर बालोद में मांझी सरकार का तीन दिवसीय कार्यक्रम होता है. इस दौरान मांझी सरकार के सैनिक पुलिस जैसी खाकी वर्दी में दिखाई देते हैं. 


मांझी सरकार से जुड़े लोग कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर देशभर से बालोद पहुंचते हैं. कंगला मांझी के निधन के बाद उनकी पत्नी फूलवा देवी इस संगठन की कमान संभाल रही हैं. संगठन में उन्हें राजमाता का दर्जा प्राप्त है. वहीं उनके बेटे कुंभ देव बतौर राजकुमार इस संस्था को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं.