देवेंद्र मिश्रा/धमतरी: किसी मकान या दफ्तर में बंदरों के झुंड आ जाए तो लोग डर जाते हैं. कैसे भी करके उन्हें खदेड़ने की कोशिश की जाती है, ताकि ये कोई नुकसान न पहुंचा सकें, लेकिन धमतरी का अर्जुनी थाना, थोड़ा अलग है. यहां न सिर्फ बंदरों को वेलकम किया गया है. बल्कि उनकी खातिरदारी के लिए पूरी व्यवस्था भी की गई है. इसी कारण अर्जुनी थाना बंदरों का पसंदीदा स्थान बन गया है.


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जीवों की मदद से सुकून मिलता है
भीषण गर्मी में अर्जुनी थाना परिसर की ठंडी छांव, हरि घांस, ठंडा पानी और खाने की व्यवस्था खूब भा रही है. लंगूरों की उछल-कूद देख यहां काम करने वाले पुलिसकर्मी भी काफी खुश होते हैं. उनका कहना है कि काम के दबाव के बीच जीवों की मदद से सुकून मिलता है. इसी कारण वो बंदरों के लिए पानी और बिस्किट इंतजाम करते हैं.


पुलिसकर्मी तनाव से पाते हैं राहत
बंदरों का ये नजारा देखकर किसी का भी तनाव फुर्र हो जाता है. काम के बोझ से परेशान पुलिस वालों का काफी ज्यादा तनाव तो बंदरो की कलाबाजी देख कर गायब हो जाता है. कुछ पुलिस वाले इन्हें हनुमान जी का रूप मान कर सेवा करते है तो कुछ इंसानी फर्ज समझ कर.


छत्तीसगढ़ पुलिस का आदर्श वाक्य 'परित्राणाय साधुनाम'
अर्जुनी थाना में काम करने वाले पुलिस कर्मियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस का आदर्श वाक्य, गीता से लिया गया.. "परित्राणाय साधुनाम" है, जिसका अर्थ है सज्जन और बेकसूर को सुरक्षा देना, उनकी मदद करना, तपती गर्मी में अगर किसी भूखे, प्यासे की मदद इसी वाक्य का अनुपालन ही है.


कुछ ऐसा है अर्जुनी थाना परिसर
बता दें अर्जुनी थाना परिसर काफी हरा भरा है. यहां एक लॉन भी है. ऐसी शानदार जगह और भोजन पानी भी मिल जाये तो बंदरो को और क्या चाहिए. उपर से पुलिस ही सत्कार करने लगे तो तब तो वानर सेना खूब धमा चौकड़ी मचाएगी ही. बंदर यहां एक से एक करतब दिखाते हैं. खास तौर पर छोटे लंगूर, जो पकड़म पकड़ाई खेलते हुए एक दूसरे का पीछा करते रहते हैं.


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