CG News:प्रदेश में पहली बार हाथी के लिए मांगी गई दया मृत्यु, क्या ये संभव है? जानें कानून
Raipur Latest News: वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाथी के बच्चे को दया मृत्यु देकर कष्टों से मुक्ति दिलाने की मांग की गई है. यह पहली बार है जब हाथी के लिए दया मृत्यु की ऐसी मांग की गई है.
सत्य प्रकाश/रायपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर के कुनकुरी रेंज में बीते 29 नवंबर को गड्ढे में गिरने से पांच वर्षीय हाथी के बच्चे की रीड़ की हड्डी टूट गई. अब उसे कुनकुरी के कांसाबेल के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है और इलाज किया जा रहा है, लेकिन दावा है कि पीछे के दोनों पांवों में लकवा मारने के कारण वो तकलीफ में है. इसे लेकर प्रख्यात वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने मुख्य वन्य जीव संरक्षक सह प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को पत्र लिखा है. सिंघवी ने हाथी के बच्चे को दया मृत्यु देकर कष्ट से मुक्ति दिलाने की मांग की है. ऐसा पहली दफा है कि इस तरह हाथी के लिए दया मृत्यु की मांग की गई है.
वन विभाग छिपा रहा है जानकारी
सिंघवी ने आरोप लगाया है कि वन विभाग हाथी के बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी छिपा रहा है. उन्होंने कहा है कि हाथी के बच्चे के शरीर में घाव होने लगे हैं. इससे दो-तीन दिनों में ही कीड़े पैदा होने लगते हैं. जिससे धीरे-धीरे उससे सेप्टिसीमिया हो जाएगा और आगे चलकर तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो जाएगी. सिंघवी ने कहा है कि हाथी के बच्चे को दया मृत्यु के लिए छ नवंबर को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है.
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दया मृत्यु को लेकर ये बोले सिंघवी
सिंघवी ने कहा है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 में प्रावधान है कि यदि अनुसूची-1 में शामिल कोई वन्य प्राणी अक्षम या बीमार है. जिसका इलाज संभव नहीं है तो उसे दया मृत्यु दी जा सकती है. यह अधिकार मुख्य वन्यजीव वार्डन में निहित है. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 में हाथी एक दर्ज वन्यजीव है. वहीं जब इस मामले में वन मंत्री मोहम्मद अकबर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में हाथी को रेस्क्यू सेंटर में रखा जाता है और उसका उचित उपचार किया जाता है.