No complete liquor Prohibition in Chhattisgarh: सत्यप्रकाश/रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर उठता नजर आ रहा है, बीजेपी ने शराबबंदी के मुद्दे पर प्रदेश की बघेल सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस घोषणापत्र में झूठे वादे कर सरकार में आई है. वहीं बीजेपी के आरोपों पर प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया है. जिससे एक बार फिर छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का मुद्दा गर्माता नजर आ रहा है. 


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पूर्ण शराबबंदी कठिन: टीएस सिंहदेव 
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पूर्ण शराबबंदी को लेकर बड़ा बयान दिया है, सिंहदेव ने कहा कि ''आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी उन्हें नहीं लगता हो पाएगी. क्योंकि छत्तीसगढ़ के 61 विकास खंडों में शराबबंदी होगी, ऐसा मुश्किल हैं क्योंकि पूर्ण शराबबंदी करना कठिन है.'' 


BJP पर साधा निशाना 
वहीं सिंहदेव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि  ''बीजेपी ने शराब बेचने की नीति बनाई और आज वह शराबबंदी की बात कर रहे हैं. बीजेपी ने शराबबंदी के लिए कमेटी बनाई थी. उस कमेटी ने रिक्रूटमेंट किया जाय और बीयर बार खोले जाएं की सिफारिश की. जो लोग खुद इस नीति को बना रहे थे उनको तो प्रश्न नहीं करना चाहिए. सिंहदेव ने कहा कि गुजरात में दो नंबर की शराब धड़ल्ले से बिक रही है. बिहार में भी नाम के लिए ही शराब बंदी है.'' सिंहदेव के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत में शराबबंदी का मुद्दा फिर गर्मा गया. 


बीजेपी ने किया पलटवार 
सिंहदेव के बयान पर बीजेपी ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई. बीजेपी नेता अमित चिमनानी ने कहा कि ''स्वास्थ्य मंत्री के बयान से ये साबित हो रहा है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पूर्ण शराबबंदी के झूठा वादा किया था. कांग्रेस वादा कर के सरकार में आ गई लेकिन अब शराबबंदी कठिन लगने लगा.'' बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर छूटा वादा करने का आरोप लगा दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर प्रदेश की सियासत में गर्माता हुआ नजर आ रहा है. 


2023 में होना विधानसभा चुनाव 
दरअसल, छत्तीसगढ़ में होने वाले 2023 विधानसभा चुनाव में अब महज एक साल का ही समय बचा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शराबबंदी का मुद्दा प्रदेश की सियासत में जमकर उछला था, कांग्रेस ने शराबबंदी के मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था. हालांकि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की पहल नहीं पाई जिससे प्रदेश की सियासत में यह मुद्दा गाहे बगाहे उठता रहा है. कभी बीजेपी इस मुद्दे पर हमलावर नजर आई तो कभी कांग्रेस ने ही बीजेपी को घेरा. वहीं अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही शराबबंदी का मुद्दा प्रदेश की सियासत में उठने लगा है.