Aaj ki Dharmik kahani: सीता की खोज में निकले लक्ष्मण जब नहीं पहचान पाए थे माता के कुंडल, जानिए दिलचस्प वजह
Aaj ki Dharmik kahani: भगवान राम से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित है. इन्हीं में एक कहानी प्रचलित है जब राम भगवान लक्ष्मण और हनुमान सहित पूरी वानर सेना माता सीता की खोज में निकली थी तो, महाबली ने लक्ष्मण को माता जानकी के कुंडल दिखाए तो उन्होंने इसे पहचानने से इन्कार कर दिया था. इसकी क्या वजह है जानते हैं.
प्रभु श्री राम लक्ष्मण और माता जानकी पिता की आज्ञा लेकर वनबास के लिए अयोध्या से निकल जाते हैं.
प्रभु श्री राम माता जानकी और लक्ष्मण पंचवटी में विश्राम कर रहे थे, इसी दौरान वहां पर रावण की बहन शूर्पणखा प्रभु श्री राम के सामने विवाह का प्रस्ताव लेकर आती है.
प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जब उसके प्रस्ताव को मानने से इन्कार कर दिए तो वो गुस्से में माता जानकी की तरफ बढ़ी, इतने में ही प्रभु लक्ष्मण ने उसकी नाक को काट दिया.
ये सारी बात शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को जाकर बताई. जिसके बाद रावण बदला की दृष्टि से माता का हरण करने का विचार बनाता है.
इसके बाद जब पंचवटी में प्रभु श्री राम लक्ष्मण और सीता विश्राम कर रहे थे तो उनके सामने से सोने का मृग गुजरता है. जिसका पीछा करते हुए भगवान राम दूर तक चले जाते हैं.
जब वह मृग (हिरण) मरता है तो वहां से हाय लक्ष्मण की आवाज आती है. जिसके बाद प्रभु लक्ष्मण भी माता को पंचवटी में छोड़कर चले जाते हैं.तभी सीता माता का हरण हो जाता है.
इसके बाद सीता की खोज में निकले प्रभु श्री राम और लक्ष्मण की भेंट सुग्रीव के दल से होती है, जहां पर हनुमान जी भी मिलते हैं.
इस दौरान हनुमान जी माता सीता की बिछुए और कंगन की पहचान लक्ष्मण से करवाते हैं जिसे लखन लाल पहचान लेते हैं.
लेकिन जब कानों की कुंडल की पहचान करवाते हैं तो उन्होंने पहचानने से इन्कार कर दिया. लक्ष्मण ने बताया कि मैं तो हमेशा मां के चरण छूता था चेहरा तो आज तक देखा ही नहीं. इसलिए मैं ये नहीं कह सकता है कि ये मां का ही कुंडल है.
यानि की लक्ष्मण सुबह शाम सीता माता का पैर रखते थे इस वजह से वो कानों के कुंडल को पहचानने से इन्कार कर दिए.