Aaj ki Dharmik kahani: वनवास मिलने के बाद लक्ष्मण के प्रश्नों का राम ने दिया था ये जवाब, जानिए आज की कहानी
Aaj ki Dharmik kahani: भगवान राम से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित है. इन्हीं में से एक कहानी है जब राम को वनवास मिला तो लक्ष्मण ने उनसे कई सवाल किए. तब राम ने उन्हें धर्म और अधर्म के बीच के अंतर को समझाया. जानिए लक्ष्मण के प्रश्नों पर राम का जवाब.
एक दिन राजा दशरथ शीशे में अपना चेहरा देख रहे थे. इसी समय उन्हें एक सफेद बाल दिखा जिसको देखकर राजा के मन में एक विचार आया.
उन्होंने सोचा कि अब हमारा समय पूरा होता है अब राम को राज सिंहासन दे देना चाहिए. गुरू वशिष्ट से उन्होंने इस पर विचार किया और उनकी सहमति ली.
गुरू वशिष्ट की सहमति लेने के बाद राजा दशरथ ने अयोध्या सहित पूरे आस - पास के इलाकों में नगाड़ा बजवाया दिया कि कल राजा राम का राजतिलक होगा.
ये बात जैसे ही मंथरा को पता चली तो वो आकर रानी कैकेयी को ये खबर सुनाती हैं औऱ अपने कुप्रंच से कैकयी को बहलाने में कामयाब होती हैं.
जिसका परिणाम ये होता है कि भगवान राम को वनवास भेजने का वरदान रानी कैकेयी मांगती है.
ये वरदान मांगने के बाद भगवान राम से लक्ष्मण कई तरह के प्रश्न करते हैं, लक्ष्मण कहते हैं कि भईया आप कहते हो कि मैं अत्याचार बर्दाश्त नहीं करुंगा.
या फिर भाई भरत के खिलाफ आवाज ऊठाऊं जिनको ये भी नहीं पता कि मेरे लिए माता कैकेयी ने राज तिलक मांगा है. या फिर उस पिता के खिलाफ जिन्होंने जन्म दिया है.
लक्ष्मण कहते हैं कि वो कौन हैं जो राजतिलक मांग ली राजतिलक तो हमेशा बड़े का होता है. तो राम ने लक्ष्मण से कहा कि भरत भी तो भाई ही हैं, राजतिलक हमारा हो या भरत का सब कहेंगे आयोध्या का राजा ही.
लक्ष्मण के प्रश्नों का जवाब देते हुए राम कहते हैं कि भाई जब संबधों औऱ रिश्तों को निभाने की बात आए तो ऐसी भावना नहीं रखनी चाहिए. कैकेयी भी मां है और भरत भी तो हमारे भाई हैं.