Nandkumar Sai Story: नंद कुमार साय की ऐसी रही है कहानी! कई बार रहे MP-MLA, PM मोदी ने भी किया था भरोसा

Who is Nand Kumar Sai: छत्तीसगढ़ में 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इससे पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगता हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी में प्रदेश के भीतर सबसे बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में माने जाने वाले नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. बता दें कि नंद कुमार साय का नायब तहसीलदार के लिए चयन हो गया था, लेकिन उन्हें यह नौकरी नहीं की और वे राज्य के सबसे बड़े आदिवासी नेताओं में से एक बन गए...

अभय पांडेय Sun, 30 Apr 2023-11:15 pm,
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किसान परिवार में हुआ था नंद कुमार साय का जन्म

नंद कुमार साय का जन्म उस समय के मध्य प्रदेश के जशपुर जिले के छोटे से गांव भगोरा में हुआ था. बता दें कि उनके पिता का नाम लिखन साय और माता का नाम रूपानी देवी था. किसान परिवार में जन्मे नंद कुमार साय ने एनईएस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

 

 

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नायब तहसीलदार बन गए थे

नंद कुमार साय ने सरकारी नौकरी पाने के लिए भी तैयारी की थी और वो 1973 में नायब तहसीलदार के पद के लिए उनका चयन भी हो गया था. वो नायब तहसीलदार बन गए थे. हालांकि, नंद कुमार साय ने इस सरकारी नौकरी को नहीं किया.

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भाजपा संगठन में कई पदों पर रहे

बता दें कि नंदकुमार साय छात्र संघ के अध्यक्ष रहने के बाद सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर पहुंचे. वे भाजपा संगठन में कई पदों पर रहे. वे 1980 से 1982 तक जिला रायगढ़ के अध्यक्ष रहे. उन्होंने 2003 से 2004 तक भाजपा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. इससे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश भाजपा का मोर्चा भी संभाला था. वे भाजपा के महासचिव थे. उन्होंने राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसे पदों पर भी कार्य किया था.

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ऐसा रहा राजनीतिक करियर

1977 में वे पहली बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 1985 में दूसरी बार और 1998 में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर वो विधायक बने. इसके बाद वो तीन बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद भी बने. वह 14 दिसंबर 2000 से 5 दिसंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ विधान सभा में विपक्ष के नेता भी रहे थे.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने भी जताया था भरोसा

इसके साथ ही जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भी नंदकुमार साय पर भरोसा जताया. नंदकुमार साय को 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था और वह 2020 तक यानी 3 साल तक इस पद पर रहे.

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मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में से एक थे

बता दें कि छत्तीसगढ़ बनने से पहले नंदकुमार साय भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में से एक थे. हालांकि, वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सके क्योंकि सरकार कांग्रेस की बनी थी. इसके साथ ही ये मौका उन्हें बाद में भी नहीं मिल पाया और कहीं न कहीं यही बात उनको खटकती रही.

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