शैलेंद्र सिंह ठाकुर/रायगढ़: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में रसूखदार ने आदिवासी के खिलाफ FIR दर्ज कराई और उसे जेल भेज दिया गया. जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आदिवासी ने अपने अधिवक्ता हरि अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद उसको जमानत देकर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है.


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जानिए क्या है पूरा मामला
बता दें कि रायगढ़ निवासी आदिवासी मकशीरो ने पिता पीला राम की मौत के बाद उनकी जमीन का नामांकरण अपने नाम कराने के लिए तहसील में आवेदन किया. तहसील से मकशीरो और उसकी बहनों के नाम जमीन कर दी गयी थी. कुछ समय बाद मकशीरो ने फिर एक आवेदन किया कि उसके पिता की ऋण पुस्तिका खो गई है और उसे डुप्लीकेट ऋण पुस्तिका उपलब्ध कराई जाए. इस पर दो आपत्ति आई, अजीत मेहता ने बताया कि पीला राम ने जमीन मेरे नाम वसीयत कर दी है. वहीं अर्पित मेहता ने कहा कि मृतक पीला राम ने उन्हें जमीन लीज पर दे रखी है और ओरिजनल ऋण पुस्तिका हमारे पास है.


एसडीओ ने किया था खारिज
इसकी सुनवाई के दौरान तहसीलदार ने आपत्ती करते हुए कहा कि एक आदिवासी की जमीन की वसीयत गैर आदिवासी कैसे करा सकता है और मेहता पिता पुत्र की आपत्ति को बर्खास्त कर दिया है. साथ ही पुलिस को निर्देश दिया कि अजित मेहता से ओरिजनल ऋण पुस्तिका को जप्त कर तहसील में जमा करें. इसके खिलाफ मेहता पिता पुत्र ने एसडीओ के समक्ष अपील किया था. लेकिन उसको भी  खारिज कर दिया गया है और अपील खारिज होने के बाद मेहता पिता पुत्र ने कोतवाली पुलिस में  मकशीरो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और उसे जेल भेज दिया. 


हाईकोर्ट ने किया रिहा
जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद मकशीरों ने अपने अधिवक्ता हरि अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की डिवीजन बेंच में हुई. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद जेल में बंद आदिवासी आरोपी मकशीरो को अंतरिम जमानत देते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है.


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