हेमंत संचेती/नारायणपुर: सावन के अवसर पर नारायणपुर में मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बता दें कि यह जिले के सात पर्यटन स्थलों में से एक है. इस मंदिर में श्रद्धा के प्रतीक सिरपुर में भगवान शिव, पार्वती, नंदी, गणेश, कार्तिकेय और शिवगण की मूर्तियों की पूजा करके भक्त भगवान से प्रार्थना करते हैं और मंदिर के चारों ओर ग्राम मंडल भजन कीर्तन करता है. साथ ही परंपरागत रूप से हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर सिरपुर धाम में सिरपुर महाशिवरात्रि मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सिरपुर पहुंचते हैं. 


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लोगों की भगवान शिव के प्रति काफी आस्था 
सिरपुर निवासी कमलेश शौरी मंदिर के बारे में बताते हैं कि हमारा सिरपुर धाम जिले के सात पर्यटन स्थलों में से एक है. कमलेश शौरी ने कहा कि हमारे गांव में भगवान शिव, पार्वती, नंदी, गणेश, कार्तिकेय और शिवगण की कई साल पुरानी मूर्तियां हैं. बड़े बुजुर्गों का कहना है कि भगवान शिव, पार्वती, नंदी, गणेश, कार्तिकेय और शिवगण की मूर्तियां पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न हुई हैं. इसके साथ ही स्वयंभू शिवलिंग है जो अनादि काल से है. लंबे समय से दर्शन करने आए ग्रामीणों समेत गांव के लोगों की भगवान की मूर्ति के प्रति काफी आस्था है.  इसे देखते हुए ग्रामीणों के सहयोग से 2006 से महाशिवरात्रि के अवसर पर मेला शुरू किया गया और सभी के सहयोग से यहां पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया.



सिरपुर का ऐसा है इतिहास 
सिरपुर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि यहां प्राचीन राजा का किला एक पहाड़ी के रूप में मौजूद है. जिसे वर्तमान में कोर्राकी डोंगरी कहा जाता है. प्राचीन काल में सिरपुर को परगना के नाम से जाना जाता था और 44 गांवों के परगना की राजधानी हुआ करती थी. सभी परगना पहले यहां पहुंचते थे. 


बस्तर के महाराजा करते थे पूजा पाठ
परगना मांझी सिरपुर के रहने वाले थे. जब सभी परगना यहां आते थे. बस्तर के महाराजा जब बस्तर जाते थे तो सिरपुर धाम में आकार पूजा का पाठ किया करते थे. इस प्रकार सिरपुर का अपना एक अलग धार्मिक, पौराणिक और गौरवशाली इतिहास है जो कई पीढ़ियों, युगों से जुड़ा है. 


सतयुगी शिव का वास 
गांव के पुराने गायता और पुजारियों के कथन के अनुसार ये सतयुगी शिव का वास है. महाशिवरात्रि की सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्त दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने का मन्नत मांगते हैं. मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को खीर खिलाकर प्रसाद का वितरण किया जाता है.