रजनी ठाकुर/रायपुर: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने एक ऐसा बयान दिया है. जिसके बाद उनके बयान की चर्चा हर जगह हो रही है. दरअसल निश्चलानंद सरस्वती ने दावा किया है कि ईसा मसीह हिन्दू (Jesus Christ was Hindu) थे.ईसा मसीह के हिन्दू  होने का दावा करते हुए निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विदेश में ईसा मसीह की वैष्णव तिलक लगाए हुए प्रतिमा है.


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ईसा मसीह 10 वर्षों तक भारत में रहे थे
बता दें कि उन्होंने कहा कि 10 वर्षों तक ईसा मसीह भारत (Jesus Christ India for 10 years) में रहे थे.जिसमें से 3 वर्ष उन्होंने ओडिशा के पुरी में बिताए थे. उन्होंने कहा कि पूरी के शंकराचार्य से उनका सम्पर्क था और ईसा मसीह वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी थे. 


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अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर कही ये बात
वहीं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर उन्होंने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद को धर्माचार्य या शंकराचार्य का प्रमाण पत्र किसने दिया ? धर्म को जो जानता हो,वह धर्म का पालन करता है.दूसरों को सद्मार्ग पर ले जाने वाला धर्माचार्य है.धर्माचार्य का पद क्या कोई भी ले लेगा, ऐसा जीवन होना चाहिए कि न्यायपालिका अनुगमन करे.बता दें कि सात साल पहले प्रतिकार यात्रा मामले में अविमुक्तेश्वरानंद की अग्रिम जमानत याचिका वाराणसी के विशेष कोर्ट ने खारिज की है.


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सनातनी हिंदूओं को आपस में लड़वाया जा रहा है
उन्होंने ये भी कहा कि राजनेताओं ने सवर्ण,sc-st जैसे शब्द दिए हैं.क्या ये शब्द व्यवस्था सनातन धर्म की देन हैं? और इन्हीं शब्दों के चलते सनातनी हिंदू आपस में लड़ते हैं.नेता अपने फायदे के लिए इस तरह के काम करते हैं.लोगों को समझना चाहिए कि यह नेताओं की चाल और उनके बहकावे में न आएं.