बाढ़ राहत शिविरों शिक्षकों की ड्यूटी, आंदोलन के लिए लामबंद हुए संघ
एक ओर प्रदेश में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में खराब गुणवत्ता की बात हो रही है. दूसरी ओर शिक्षकों की एक के बाद एक अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाई जा रही है. सुकमा के कोंटा में अब 45 शिक्षकों की बाढ़ राहत केंद्रों में ड्यूटी लगा दी गई है.
रायपुर: एक ओर प्रदेश में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में खराब गुणवत्ता की बात हो रही है. दूसरी ओर शिक्षकों की एक के बाद एक अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाई जा रही है. सुकमा के कोंटा में अब 45 शिक्षकों की बाढ़ राहत केंद्रों में ड्यूटी लगा दी गई है. ड्यूटी इस प्रकार लगाई गई है कि स्कूल की टाइमिंग भी प्रभावित हो रही है. जिससे शैक्षणिक कार्य भी पर प्रभावित हो रहा है.
शिविरों में लगाई गई शिक्षकों की ड्यूटी
सुकमा जिले के कोंटा एसडीएम की ओर से ये आदेश पिछले दिनों जारी किया गया है. कोंटा के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में शबरी सहित अन्य नदी नालों में बढ़ते जल स्तर और बाढ़ के हालात को देखते हुए बाढ़ प्रभावितों के ठहरने, भोजन व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओ के लिए अस्थायी राहत शिविर लगाए गए हैं. इन राहत शिविरो में शिविर प्रभारी और सहायक प्रभारी के रूप में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.
दो पालियो में लगाई गई ड्यूटी
शिक्षकों की ड्यूटी दो पालियों में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे और फिर शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक के लिए लगाई गई है. ड्यूटी लगाए जाने का आदेश सामने आने के बाद अब शिक्षक संघ इस फैसले के विरोध में खड़े हो गए हैं. सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे का कहना है कि शिक्षा विभाग को मजाक बनाकर रख दिया गया है. जिस भी डिपार्टमेंट में किसी भी प्रकार के कर्मचारी की आवश्यकता पड़ती है तो शिक्षा विभाग के शिक्षकों की तैनाती कर दी जाती है.
शिक्षक संघ का विरोध कितना जायज
एक ओर शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्य में ड्यूटी लगाई जाती है. फिर गुणवत्ता की भी बात की जाती है. ये दोनों कैसे संभव है. सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने कहा कि अगर इसी तरह गैर शैक्षणिक कार्यों में आगे भी ड्यूटी लगी तो शिक्षक आंदोलन करने को मजबूर होंगे. हालांकि सवाल ये भी उठ रहा है कि आपदा की स्थिति है तो ज्यादा अमले की जरूरत राहत कार्य में होती है. ऐसे में शिक्षक संघ का विरोध कितना जायज है.
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