Surajpur News: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है और सभी पार्टियों के कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी पार्टियों से टिकट मांग रहे हैं. लेकिन सूरजपुर में एक ऐसा वार्ड है जहां के लोग चुनाव लड़ने से बचना चाहते हैं. इस वार्ड के बारे में कहा जाता है कि यहां से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की रहस्यमयी तरीके से मौत हो जाती है. आखिर क्या वजह है कि कोई भी उम्मीदवार इस वार्ड से चुनाव नहीं लड़ना चाहता? आइए जानते हैं.


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सूरजपुर का रहस्यमी वार्ड
दरअसल हम बात कर रहे हैं सूरजपुर नगरपालिका के मौलाना आज़ाद वार्ड क्रमांक 02 की जो ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित है. यहां के लोगों का मानना ​​है कि इस वार्ड ने पिछले 25 सालों में नगर पंचायत से लेकर नगरपालिका तक कई पार्षद और अध्यक्ष दिए हैं. लेकिन जो भी पार्षद इस वार्ड से चुना गया उसकी मौत हो गई. अगर वो पुरुष पार्षद था तो उसके कार्यकाल के दौरान किसी बीमारी या दुर्घटना ने उसकी जान ले ली. वहीं इस वार्ड से अगर कोई महिला उम्मीदवार चुनाव जीतती है तो उसके पति की मौत हो जाती है. कहा जाता है कि मौलाना आज़ाद वार्ड में अगर कोई पुरुष पार्षद चुना जाता है तो वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता.


बिना पार्षद के वार्ड
फिलहाल यह वार्ड करीब एक साल से पार्षद विहीन है. क्योंकि इस वार्ड में पिछला चुनाव भाजपा पार्षद जियाजुल हक ने जीता था लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी भी मौत हो गई थी.


लोगों में डर का माहौल
वार्ड के लोगों की मानें तो करीब पांच ऐसे लोगों की मौत हो चुकी है जिससे चुनाव लड़ रहे नए प्रत्याशियों में डर है. पार्षद रहते हुए जिनकी मौत हो गई या जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है वे अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव मैदान में नहीं देखना चाहते. माना जा रहा है कि यही वजह है कि इस वार्ड में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या कम है. फिलहाल यह रहस्य वार्ड के साथ-साथ शहर में भी चर्चा का विषय बना हुआ है.


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अभी भी बना हुआ है रहस्य
भाजपा और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल जहां ऐसी चर्चाओं को अफवाह और भ्रामक प्रचार मान रहे हैं. लेकिन नगरपालिका जैसे चुनाव में जहां प्रत्येक वार्ड में बड़ी संख्या में प्रत्याशी चुनाव लड़ते नजर आते हैं वहीं इस वार्ड में प्रत्याशियों की कमी और दोनों राजनीतिक दलों से एक ही नाम का होना कहीं न कहीं इस चर्चा को साबित करता है कि इस वार्ड से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में डर का माहौल है. वैसे भी चुनाव नजदीक आते ही चर्चाओं का दौर जारी है. राजनीतिक दल इसे भ्रामक प्रचार मान रहे हैं. हालांकि चुनाव जीतने वाले पार्षदों व परिजनों की मौत की खबर सच है या महज संयोग इसका रहस्य अभी भी बना हुआ है.


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