नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता और अंबिकापुर से विधायक टीएस सिंहदेव की गिनती देश के सबसे अमीर नेताओं की जाती है. दरअसल टीएस सिंहदेव शाही परिवार से आते हैं और उनका ताल्लुक सरगुजा रियासत से है. टीएस सिंहदेव अपने कुछ इंटरव्यू में खुद भी कह चुके हैं कि वह नहीं जानते कि उनकी कितनी संपत्ति है लेकिन चुनावी हलफनामे के मुताबिक टीएस सिंहदेव 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं. 


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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टीएस सिंहदेव की संपत्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरगुजा के कुछ इलाकों में जहां तक नजर जाएगी, वहां तक टीएस सिंहदेव और उनके परिवार की संपत्ति फैली हुई है. सरगुजा के कुछ इलाकों में स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, खेत और मकान सभी चीजों पर टीएस सिंहदेव के परिवार का मालिकाना हक है. टीएस सिंहदेव ने एक इंटरव्यू में अपनी संपत्ति को लेकर कहा था कि "यह सिर्फ कागजी आंकड़े हैं. ये 500 क्या 1000 करोड़ भी हो सकते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आचरण है. आप आम लोगों से कैसे पेश आते हैं. उनमें घुल मिल जाते हैं या फिर भेदभाव करते हैं. उसी पैमाने पर आपको तौला जाता है." 


टीएस सिंहदेव के पिता एमएस सिंहदेव अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं. एमएस सिंहदेव योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे थे. सरगुजा रियासत का अविभाजित मध्य प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव था. छत्तीसगढ़ बनने के बाद से सरगुजा रियासत की राजनीति का केंद्र छत्तीसगढ़ हो गया है. टीएस सिंहदेव इस रियासत के 118वें राजा हैं. 


टीएस सिंहदेव के बारे में कहा जाता है कि वह भले ही राजा हैं लेकिन वह ठाट-बाट से दूर सादा जीवन जीते हैं. सरगुजा रियासत की दशहरा परंपरा अपने राजसी वैभव के लिए जानी जाती है. महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के समय में सरगुजा रियासत में दशहरे पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता था और इस दौरान हाथियों का जुलूस निकाला जाता था. टीएस सिंहदेव के दादा और पूर्व राजा रामानुज शरण सिंहदेव हाथियों पर बैठकर ही दशहरा कार्यक्रम में शामिल होते थे.