डायरिया, मलेरिया के बाद छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का खतरा! बिलासपुर में 2 मौतें, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
Chhattisgarh News: बिलासपुर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. दो मरीजों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और डॉक्टर से संपर्क करने की अपील की है.
Swine Flu Deaths in Bilaspur: डायरिया और मलेरिया के बाद अब छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ गया है. शुक्रवार को बिलासपुर में इस बीमारी से दो महिला मरीजों की मौत हो गई. एक मरीज कोरिया और दूसरी जांजगीर की थी. मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और साफ-सफाई का ध्यान रखने की अपील की है.
बिलासपुर में स्वाइन फ्लू से दो महिलाओं की मौत
डायरिया और मलेरिया के बाद अब बिलासपुर में स्वाइन फ्लू के प्रकोप ने स्वास्थ्य विभाग की टेंशन बढ़ा दी है. मिली जानकारी के अनुसार स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले 9 मरीजों की एच1एन1 वायरस (स्वाइन फ्लू) की जांच की गई थी, जिसमें से 7 पॉजिटिव पाए गए. स्वाइन फ्लू पॉजिटिव दो महिला मरीजों की आज इलाज के दौरान मौत हो गई. दोनों महिला मरीजों का अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था. बताया जा रहा है कि इनमें से एक मरीज कोरिया और दूसरी जांजगीर की थी. फिलहाल अपोलो में स्वाइन फ्लू के चार मरीजों का इलाज जारी है.
यह भी पढ़ें: Chhattisgarh: मलेरिया और डायरिया से जंग के लिए स्कूली बच्चों को उतारा, अब तक 758 मरीज, 5 की मौत
स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. मैदानी अमले को सक्रिय करने के साथ ही इसकी जांच, उपचार और अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. स्वाइन फ्लू की स्थिति और इसके उपचार व रोकथाम को लेकर सीएमएचओ ने कहा है कि तैयारियां पुख्ता हैं, वहीं उन्होंने शहर में स्वाइन फ्लू की पुष्टि भी की है.
यह भी पढ़ें: Bilaspur पुलिस ने किया बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा, गैंग में बांग्लादेश और कैमरून के छात्र भी शामिल
मलेरिया और डायरिया का भी प्रकोप
बिलासपुर में स्वाइन फ्लू के खतरे के साथ मलेरिया और डायरिया के मामलों में भी तेजी देखी जा रही है. कोटा और रतनपुर में मलेरिया और डायरिया के प्रकोप ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है. प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है और कलेक्टर, एसडीएम, सरकारी और निजी अस्पताल मिलकर इस स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदमों में मरीजों की निगरानी और उपचार प्रक्रिया में सुधार शामिल है.