Nandkumar Sai Joined Congress Party Impact: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बीजेपी में सूबे के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे माने जाने वाले नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है तो आइए आपको बताते हैं कि इसका राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा...


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सवाल- नंद कुमार साय एक बड़ा आदिवासी चेहरा थे, फिर भी आदिवासी की 29 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें BJP की झोली में क्यों? 


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जवाब- 2018 विधानसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों में मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी थी. तब भी साय को पार्टी स्तर पर उतनी तवज्जों नहीं दी गई थी. जिसके वो हकदार थे या जितना दिया जाना चाहिए था. उस वक्त भी साय की नाराजगी सामने आई थी. दरकिनार साय के होने के बावजूद बीजेपी सिर्फ 2 आदिवासी सीटों पर जीत पाई. 


सवाल- क्या साय का कांग्रेस में जाना मध्य प्रदेश चुनाव पर भी असर डालेगा? 


जवाब- नंदकुमार साय देश में बड़े आदिवासी चेहरे हैं, ये सिर्फ इस वजह से नहीं कि वो राज्यसभा-लोकसभा के कई बार सांसद रहे, बल्कि इसलिए भी कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में ही साय पहली बार 1977 में विधायक बने थे और लंबी राजनीति भी की है, ऐसे में कहा जा सकता है कि साय के कांग्रेस में जाने का असर एमपी के आदिवासी बेल्ट में भी पड़ेगा


सवाल- साय के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को कैसे फायदा पहुंचेगा और बीजेपी को कितना नुकसान होगा? 


जवाब- नंदकुमार साय के कांग्रेस ज्वाइन करने से कांग्रेस का आदिवासी वोटबैंक बढ़ सकता है. साय न सिर्फ आदिवासी समाज में दमखम रखते हैं बल्कि, आदिवासी समाज में हिंदूवादी नेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं. तब जबकि धर्मांतरण और हिंदुत्व के मसले को लेकर भाजपा प्रदेश सरकार को घेर रही है, चुनावी साल में कांग्रेस साय को आगे कर पलटवार कर सकती है. भाजपा को नुकसान ये होगा कि साय के कांग्रेस प्रवेश और कांग्रेस के पक्ष में और भाजपा के खिलाफ बयानबाजी से आदिवासी बेल्ट में ये मैसेज जाएगा कि कांग्रेस आदिवासी हितैषी है, भाजपा नहीं.


सवाल- साय को असंतोष क्यों हुआ? वो मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हुआ था उससे पहले से बीजेपी में थे? 


जवाब- नंदकुमार साय रमन सिंह सरकार के दौरान भी कई मौके पर सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े करते रहे. धीरे-धीरे पार्टी के भीतर उन्हें बगावती नेता समझा जाने लगा. रमन सिंह खेमा साय को पसंद नहीं करता इस तरह की खबरें भी आती रही, क्योंकि साय ने एकवक्त में आदिवासी एक्सप्रेस यानि सीएम का आदिवासी चेहरा की मुहिम चलाकर रमन सिंह के लिए मुश्किल खड़ा कर दिया था. अब तब जबकि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व चेंज हो गया है फिर भी साय को पार्टी में तवज्जों नहीं मिल रही थी, माना जा रहा है कि इसी से नाराज होकर और कांग्रेस के तवज्जों/टिकट देने के खास कमिटमेंट की वजह से साय ने कांग्रेस जॉइन किया है


सवाल- क्या कोई और दिग्गज BJP नेता भी कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं. बागी या असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट में अगला नाम कौन?


जवाब- कांग्रेस नेताओं का दावा है कि अभी कुछ और भाजपा नेता उनके संपर्क में हैं. हालांकि फिलहाल वक्त में भाजपा से कोई और ऐसा नेता नजर नहीं आता जो रूठा हुआ हो और जिसके कांग्रेस जॉइन करने के संकेत हो, लेकिन चुनावी साल है, राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर कौन कब पाला बदल ले कुछ कहा नहीं जा सकता......


रिपोर्ट: सत्य प्रकाश (रायपुर)