अविनाश प्रसाद, जगदलपुर (बस्तर): 6 अगस्त को सुकमा जिले के कोंटा इलाके में फ़ोर्स ने एनकाउंटर में 15 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था, हालांकि इस मुठभेड़ के बाद से ही इसकी सत्यता पर सवाल उठाए जा रहे थे. कांग्रेस ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मुठभेड़ की जांच के लिए 18 सदस्यीय दल की नियुक्ति की है. ये दल मुठभेड़ स्थल जाकर मुठभेड़ की सत्यता की पड़ताल करेगा और अपनी रिपोर्ट पीसीसी के सामने पेश करेगा. प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा गठित इस जांच दल में विधायक मनोज मंडावी, दीपक बैज, कवासी लखमा, मोहन मरकाम के अलावा मलकीत सिंह गैदु, सामू कश्यप, विक्रम मंडावी सहित 18 नेताओं को शामिल किया गया है.


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उप नेता प्रतिपक्ष और कोंटा विधायक आदिवासी नेता कवासी लखमा ने बयान देते हुए कहा है की बस्तर में नक्सल ऑपरेशन के नाम पर कई फर्जी मुठभेड़ें हुई हैं , उनकी शिकायत भी कांग्रस ने की है , सरकार ने जांच समिति भी गठित की लेकिन एक में भी आदिवासियों के हित में फैसला नहीं आया. उन्होंने कहा की कांग्रेस की सरकार आने पर फिर से फर्जी मुठभेड़ मामलों की जाँच करवाई जाएगी और छह महीने के भीतर नतीजे सामने लाये जायेंगे. 


इधर कवासी लखमा ने महारा समाज के समर्थन में कहा है की प्रदेश सरकार ने चुनाव के मद्देनज़र महारा जाती को अनुसूचित जनजाति में शामिल तो कर दिया लेकिन शब्द को ही परिवर्तित कर महारा से महार कर दिया. इसे सुधारकर महारा ही रहने दिया जाना चाहिए क्योंकि ये महारा समाज का मूल उच्चारण है.