भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मानहानि मामले में अपने बयान दर्ज कराने के लिए भोपाल की एडीजे कोर्ट पहुंचे, जहां वो करीब 5 घंटे तक अंदर रहे।


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वो सुबह करीब 11:15 बजे कोर्टरूम में पहुंच गए थे और करीब 4:15 बजे अपने वकीलों के साथ कोर्ट से बाहर आए। 


दरअसल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के के मिश्रा पर सीएम की मानहानि का आरोप है और उसी सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा अपने बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट पहुंचे थे।


शुक्रवार को हुई सुनवाई में मौजूद रहने पर शिवराज ने व्यक्तिगत रूप से छूट मांगी थी, लेकिन के के मिश्रा की तरफ़ से इस पर आपत्ति जताई गई और सीएम को मौजूद रहने को कहा गया। 


क्या था मामला?


पूरा मामला 21 जून 2014 का है, जब भोपाल में प्रदेश कांग्रेस दफ़्तर में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता के के मिश्रा ने व्यापमं को लेकर एक प्रेस कॉफ्रेंस की थी। 


आरोप है कि उस दौरान के के मिश्रा ने व्यापमं के अलावा भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह पर कई हमले किए थे।


इसमें बालाघाट की एक मैंग्नीज़ खदान के आवंटन पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे, जिसमें सीएम के करीबीयों को ये खदान आवंटित करने का आरोप लगाया गया था।


इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद के के मिश्रा पर मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था, जो अभी भी कोर्ट में चल रहा है।


इसी मामले मेें शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा अपने-अपने बयान दर्ज कराने के लिए एडीजे कोर्ट पहुंचे थे। 


सीएम ने बेबाकी से दिए जवाब


कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा पर आरोप हैं कि उनके बयानों और आरोपों से सीएम शिवराज और उनके परिवार की मानहानि हुई है।


इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके वकीलों को कोर्ट में ये साबित करना है कि ये आरोप दुर्भावना के तहत लगाए गए थे और ये ग़लत हैं।


जबकि के के मिश्रा और उनके वकीलों को ये साबित करना है कि उन्होंने किसी दुर्भावना के लिए सीएम पर आरोप नहीं लगाए गए थे बल्कि इन आरोपों को साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं।


साथ ही वो ये भी साबित करना चाहेंगे कि विपक्ष के प्रवक्ता होने के नाते उन्होंने जनहित मेें ये मुद्दे उठाए थे। 


इस दौरान सीएम शिवराज और के के मिश्रा काफ़ी देर तक कोर्टरूम में रहे। के के मिश्रा के वकील अजय गुप्ता ने सीएम से कई सवाल पूछे।


बताया जा रहा है कि उनमें से कुछ ऐसे सवाल थे जो सीएम को असहज करने वाले थे, लेकिन सीएम ने सभी सवालों का बड़ी बेबाकी से जवाब दिया।


दरअसल अजय गुप्ता सवालों को बार-बार व्यापमं के इर्द-गिर्द रख रहे थे, इस पर कई बार सीएम तो कई बार सीएम के वकील आनंद तिवारी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।


हालांकि इस पर अजय गुप्ता ने जज से कहा कि ये सवाल इस सुनवाई के लिए ज़रूरी हैं। 


सीएम से क्या सवाल पूछे गए?


कोर्टरूम में सीएम करीब 5 घंटे तक रहे इस दौरान बचाव पक्ष के वकील (के के मिश्रा के वकील) अजय गुप्ता ने सीएम से कई सवाल पूछे जिनका सीएम ने जवाब दिया।


आगे पढ़िए उनसे कौन से सवाल पूछे गए और सीएम ने उन सवालों का क्या जवाब दिया। 


सवाल- सबसे पहले आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहां देखी? 
जवाब- ज़ी मीडिया पर लाइव देखी। 


सवाल- प्रेस कांफ्रेस में कोई असंसदीय शब्द आया जिससे आपकी मानहानि हुई।
जवाब- मेरी छवि को धूल-धूसरित करने के इरादे से प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी।   .


सवाल- शब्द असंसदीय थे क्या?
जवाब- इनके इरादे और भाव मानहानि के थे। 


सवाल- भर्ती में गोंदिया के एप्लीकेंट थे या नहीं इसकी जांच कराई या नहीं?
जवाब- मैंने जांच नहीं कराई, सचिव से पूछा है, अभी STF और CBI जांच कर रही है। 


सवाल- क्या गोंदिया के किसी व्यक्ति का नाम आना आपकी मानहानि है?
जवाब- ये प्रश्न सुसंगत नहीं है। 


सवाल- नितिन महिंद्रा से आप परिचित हैं, क्या वो मुख्यमंत्री निवास आते रहे हैं?
जवाब- मेरी जानकारी में वो कभी सीएम हाउस नहीं आए। 


सवाल- व्यापम के आरोपी प्रेमशंकर प्रसाद आपके बंगले में रहते थे
जवाब- मेरे निजी सचिव थे लेकिन निवास परिसर में रहते थे, मैं सीएम हूं ये जानकारी रखना मेरा काम नहीं है।                       


सवाल- आपको दर्जनों अवॉर्ड मिले, कभी शिक्षा के क्षेत्र में कोई अवार्ड मिला? 
जवाब- मुझे याद नहीं है। 


सवाल- आपने भर्ती परीक्षाएं व्यापमं के जरिए क्यों शुरू कराई?           
जवाब- चूंकि भर्तियों में करप्शन होता था, पारदर्शिता लाने के लिए ये कदम उठाया गया था।