कर्ण मिश्रा/जबलपुर: मौसम ने अचानक करवट बदली है. तेजी से बदले इस मौसम में सर्द हवाओं की दस्तक के साथ मौसम में ठंडक घुल गयी हैं. जिसके बाद अब दिन और रात दोनों ही सर्द हो गए हैं और सड़कों पर रात गुजारने वाले लोग अब रैन बसेरों के सहारे हो गए हैं. जबलपुर में करीब 6 रैन बसेरा हैं, जहां नगर निगम द्वारा व्यवस्थाएं की गई हैं. ZEE मीडिया की टीम ने बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा का जायजा लिया. जहां व्यवस्था के नाम पर कमरे, गद्दे, बिजली और पानी तो मिला लेकिन, औसत दर्जे का. इतना ही नही इस रैन बसेरे में लोग हर रात मौत के साये में सोते हैं क्योंकि, यह बहुत जर्जर हो चुका है. 


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दरअसल, बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा की छत से कभी भी प्लास्टर नीचे गिर आता है. पहले भी कई ऐसे हादसे हो चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार दूसरी करवट लेकर सुकून नींद में डूबे हुए हैं. टूटे हुए पलंग उन हादसों के चश्मदीद गवाह हैं, जब छत से गिरे प्लास्टर से लोग घायल हुए थे. लेकिन, उसके बाद भी हालत जस की तस बनी हुई है.



बहरहाल हमारी टीम ने जायजा लिया तो, पाया यहां सिंगरौली और आसपास के जिलों से आने वाले करीब एक दर्जन मुसाफिर रुके हुए हैं. फर्श पर टाइल्स लेकिन छत का प्लास्टर उधड़ा हुआ, दीवारों पर कई सालों पहले हुआ रंग-रोगन और उखड़ती बिजली के बोर्ड देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है. यह रैन बसेरा बस स्टैंड में नगर निगम के मार्केट की पहली मंजिल पर बना हुआ है, जिसमें बीच में रिसेप्शन बना हुआ है. सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने पर दाएं और बाएं तरफ कमरे बने हुए हैं.



इस रैन बसेरा के केयरटेकर ने बताया कि यहां 17 कमरे हैं. दोनों तरफ महिला एवं पुरूषों के लिए बाथरूम बने हुए हैं लेकिन, एक तरफ के बाथरूम चोक हो चुके हैं. जहां अब काबड़ रखा जाता है और रैन बसेरा की दूसरी विंग में बने बाथरूम ही उपयोग किए जाते हैं. महिलाओं के लिए बनाए गए टॉयलेट के दरवाजे सड़कर खराब हो चुके हैं लेकिन, इन्हीं बाथरूम को यहां रूकने वाली महिलाएं इस्तेमाल करती हैं. इतना ही नहीं पुरूष मुसाफिर भी इन्हीं टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते हैं. रैन बसेरा के कुछ कमरों में पलंग भी रखे हुए हैं लेकिन, इनमें फिलहाल कोई नहीं था. यहां ठहरे मुसाफिरों ने बताया कि व्यवस्थाएं काफी हद तक ठीक हैं, उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए गए लेकिन, ओढ़ने के लिए पर्याप्त कंबल नहीं मिले.



रैन बसेरा के केयरटेकर मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि यहां की वर्तमान स्थिति से वे अधिकारियों को समय-समय पर अवगत कराते रहते हैं लेकिन, मेंटेनेंस को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं. उनका कहना है कि यह भवन काफी पुराना हो चुका है और जल्द ही इसे तोड़ा जाएगा. इसलिए इसका मेंटनेंस करने का कोई फायदा नहीं है.