इंदौर: कोरोना संक्रमित रहे मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया है. कोविड-19 की पुष्टि होने के बाद उन्हें देर रात अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. राहत इंदौरी ने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी खुद ट्वीट कर दी थी.


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उन्होंने कहा था कि दुआ कीजिए जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं. उन्होंने अपने करोड़ों चाहने वालों से एक इल्तेजा भी की थी कि मुझे या फिर घर के लोगों को फोन ना करें, खैरियत ट्विटर और फेसबुक पर मिलती रहेगी. लेकिन आज उनका निधन हो गया.


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मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने जताया दुख
हर दिल अजीज रहे राहत इंदौरी के निधन को सीएम शिवराज ने मध्य प्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा, 'मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति दें, उनके परिजनों और चाहने वालों को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति दें.'


उन्होंने राहत इंदौरी की कुछ पंक्तियों को शेयर करते हुए लिखा, 'राहत जी आप यूं हमें छोड़कर जाएंगे, सोचा न था. आप जिस दुनिया में भी हों, महफूज रहें, सफर जारी रहे.'



जिंदादिल हमसफर हाथ छुड़ा कर चला गया: कुमार विश्वास
राहत इंदौरी के बेहद करीबी रहे जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लिखा कि इतनी बेबाक जिंदगी और ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी खामोशी से विदा होगा, कभी नहीं सोचा था! शायरी के मेरे सफर और काव्य-जीवन के ठहाकेदार किस्सों का एक बेहद जिंदादिल हमसफर हाथ छुड़ा कर चला गया.


अलविदा राहत इंदौरी साहब: राहुल गांधी
राहत साहब के निधन पर राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर उन्हें याद किया, उन्होने लिखा 'अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं जमाने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फसाने मेरे...'


1950 में हुआ था हर-दिल-अजीज शायर का जन्म
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था. उनका बचपन का नाम राहतउल्ला कुरैशी था. बाद में उन्हें डॉ.राहत इंदौरी के नाम से पहचान मिली. राहत इंदौरी ने सियासत और मोहब्बत दोनों पर बराबर हक और रवानगी के साथ शेर कहे. राहत मुशायरों में एक खास अंदाज में गम-ए-जाना (प्रेमिका के लिए) के शेर कहने के लिए जाने जाते हैं. मगर उनका उर्दू में किया गया रिसर्च वर्क उर्दू साहित्य की धरोहर है.


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