रतलांम: रतलांम में राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त प्राचार्य आर एन केरावत के निलंब का मामला अब प्रशासन के लिये बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है, दरअसल प्राचार्य आर एन केरावत के निलंबन से बहाली की मांग को लेकर पहले कर्मचारी संगठन और शिक्षकों ने मोर्चा खोला था, लेकिन अब एबीवीपी और स्कूल के छात्र भी सड़क पर आ गए है, मलवासा के शासकीय स्कूल के छात्र छात्राओं ने आज खाचरोद मार्ग पर जाम लगा दिया, छात्र-छात्राओं ने प्राचार्य आरएन केरावत के निलंबन को गलत बताया और कहा कि, उन्होंने हमारी मदद के लिए एनजीओ से कॉपियां बटवाई थी. कॉपियों के पृष्ठ पर वीर सावरकर की तस्वीर से प्राचार्य आर एन केरावत का कोई लेना देना नही था. छात्र-छात्राओं में चेतावनी देते हुए कहा है किं यदी प्राचार्य को बहाल कर जल्द ही वपास स्कूल नही भेजा गया तो वे परीक्षा नही देंगे. 


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एबीवीपी भी निलंबित प्राचार्य के बहाली की मांग के समर्थन में आई
अब तक इस मामले में कर्मचारी संगठन व शिक्षक संगठन ही निलंबित प्राचार्य आरएन केरावत के बहाली की मांग कर रहे थे, लेकिन अब इसमें सियासत भी तेज होती नजर आ रही है. एबीवीपी ने इस मामले में कलेक्टोरेट पहुंचकर जमकर नारिबाजी की, एबीवीपी ने कोंग्रेस के खिलाफ नरेबाजी करते हुए निलंबित प्राचार्य आर एन केरावत के बहाली की मांग की है. वहीं एबीवीपी ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिन में निलंबित प्राचार्य आर एन केरावत की बहाली नहीं होती है तो आंदोलन किया जाएगा. 


कार्रवाई पर खड़े सवाल 
दरअसल जिन प्राचार्य को निलंबित किया गया है, वह शिक्षक आरएन केरावत 2010 में राष्ट्रपत्ति द्वारा सम्मानित किए गए थे. वहीं जिले में जिला प्रशासन की शिक्षा व्यवस्था सुधारने में भी शिक्षक आर एन केरावत का बड़ा योगदान रहा है. निलंबित प्राचार्य आरएन केरावत के वीडियो से कई स्कूलों में एलईडी पर पढ़ाई कराई जा रही है. वहां जीला प्रशासन भी आर एन केरावत निलंबित प्राचार्य को अच्छी शिक्षण व बेहतर परीक्षा परिणाम के लिये पुरस्कृत कर चुका है.


बता दें कि आर एन केरावत ने अपना व्हाट्स एप ग्रुप बनाया है, जिस पर बच्चे कभी भी अपने सवाल पूछ सकते हैं. शिक्षा व्यवस्था में ऐसे नवाचार के साथ शिक्षण व्यवस्था को बेहतर करने में प्रमुख योगदान करने वाले शिक्षक को जिला प्रशासन ने मात्र इसलिए निलंबित कर दिया है क्योंकि शिक्षक आर एन केरावत ने स्कूल में बगेर परमिशन के कॉपियां वितरित करवा दी, और यह बात किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है. इसके बाद कॉपियों पर वीर सावरकर की फोटो ने कार्रवाई में राजनीतिक दबाव की शंका को और मजबूत कर दिया है.