Triphala Benefits: कभी मटर पनीर की सब्जी या बिरयानी में आपका पाला  त्रिफला से जरूर पड़ा होगा. मुंह में आते ही या थाली में दिखते ही अगर आप भी इसे साइड कर देते हैं तो कहीं न कहीं बड़ी गलती कर रहे हैं.  त्रिफला को आंवला, बहेड़ा और हरड़ को मिलाकर बनाया जाता है, जो हमारी सेहत के लिए कई तरह से बेहद फायदेमंद है. 


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त्रिफला में तीन जड़ी बूटियां
त्रिफला आयुर्वेद की तीन सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटियों -'विभीतकी', 'हरीतकी' और 'आंवला' से मिलकर बनता है. आयुर्वेद में त्रिफला को फेफड़ों की गंदगी को साफ करने के लिए सबसे बेहतरीन उपचार माना गया है. इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण इसे मजबूत औषधि बनाते हैं.


त्रिफला में क्या पाया जाता है
त्रिफला में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट जैसे एलाजिक एसिड, टैनिन और फ्लेवोन भी फेफड़ों को अधिक मजबूती देकर उसमें जमा गंदगी को जड़ से साफ करने में असरदार साबित हो सकते हैं.


फेफड़ों को बचाए
ठंड के दिनों में प्रदूषण हम सभी के स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा करता है. हवाओं में घुलता प्रदूषण का ये जहर फेफड़ों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने का काम करता है. इससे लंग्स कैंसर होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है. फेफड़े ही वातावरण से वायु को खींचकर उससे ऑक्सीजन को छानकर खून के कतरे-कतरे में पहुंचाते हैं. साथ ही शरीर के अंदर बन रहे कार्बनडायऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करते हैं.  साथ ही फेफड़े बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से हमें बचाते हैं. ऐसे में फेफड़ों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी हो जाता है.ऐसे में त्रिफला फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है. 


सूजन कम करेगा
त्रिफला के सेवन से गले की सूजन कम होती है और श्वसनमार्ग के रोगों से भी आराम मिलता है. 


कैसे करें सेवन
फेफड़ों की सफाई के लिए एक लीटर पानी में करीब 100 एमजी त्रिफला को डालकर तब तक उबालें, तब तक पानी आधा ना हो जाए. पानी हल्का गुनगुना हो जाने के बाद सुबह खाली पेट घूंट-घूंट कर इसका सेवन करें.


Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम आपको विनम्रता पूर्वक यह सूचित करना चाहते हैं कि ZEE MP-CG किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. यह एक साधारण जानकारी है, जो कि सामान्य जागरुकता पर आधारित है. इसकी वैधानिक पुष्टि नहीं की जा रही है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित सक्षम विशेषज्ञ से सलाह लेकर उसे क्रियान्वयन के स्तर पर लेकर आएं.