इंदौर: स्वास्थ्य अधिकारी पूर्णिमा डागरिया और इंदौर कलेक्टर के बीच पनपा विवाद अब स्वास्थ्य विभाग V/S कलेक्टर हो गया है. कलेक्टर मनीष सिंह के इस्तीफे पर स्वास्थ्यकर्मी और  डॉक्टर्स अड़े हुए हैं. साथ ही संभागायुक्त को शुक्रवार यानि कि आज 3000 स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टर्स ने हड़ताल पर जाने की भी बात कही है. किसी तरह मामला सुलझ जाए, इसको लेकर शुक्रवार सुबह से ही अधिकारियों की मीटिंग चल रही है. इस दौरान आगे की रणनीति पर विचार किया जा रहा है.


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इसी बीच पूरे मामले को लेकर प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि डॉक्टरों के सम्मान की पूरी जिम्मेदारी है मेरी है. मैं उनसे लगातार संवाद कर रहा हूं. साथ ही उन्होंने इसे परिवार का विवाद बताते हुए कहा कि कभी-कभी विवाद हो जाते हैं. लेकिन यह लड़ने का समय नहीं है. इस संकट के समय में डॉक्टरों की आवश्यकता है. जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.


जानें पूरा मामला
बुधवार को प्रशासन के अधिकारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग के दो डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने वालों में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया और मानपुर के मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. आरएस तोमर शामिल हैं. डॉ. गडरिया ने कलेक्टर मनीष सिंह और डॉ. तोमर ने एसडीएम अभिलाष मिश्रा द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात को लेकर यह कदम उठाया है.


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कौन हैं कलेक्टर मनीष सिंह 
कलेक्टर मनीष सिंह 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. इनके पिता भी मध्य प्रदेश सरकार में कलेक्टर रह चुके हैं. कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई शिवराज सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव को हटाकर मनीष सिंह को इंदौर का नया कलेक्टर नियुक्त किया था. इंदौर में कोरोना से बेकाबू होती स्थिति को संभालने के लिए मनीष सिंह की तैनाती की गई थी. हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में भी इंदौर में हालात चिंताजनक हैं. मनीष सिंह एक दबंग छवि के अधिकारी माने जाते हैं और वह इंदौर नगर निगम के कमिश्नर भी रह चुके हैं. उन्हीं के कार्यकाल में इंदौर स्वच्छता के मामले में देश में नंबर वन बना था. 


इंदौर में संपत्ति कर भी मनीष सिंह के नगर निगम कमिश्नर रहते हुए ही लागू हुआ था. जिसके चलते इंदौर नगर निगम को काफी राजस्व की कमाई हुई और उसके बाद निगम ने सफाई के लिए कई बड़े कदम उठाए, जो बाद में पूरे देश के लिए नजीर बने. 


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