Ayodhya Mein Siya Ram: प्राचीन काल में इन नामों से भी जानी जाती थी अयोध्या, जानिए नाम से जुड़ी धार्मिक मान्यता
Ayodhya Mein Siya Ram: आने वाला साल 2024 कई मायनों में खास होने वाला है. इस साल को अच्छा बनाने के लिए लोग कई तरह के इंतजाम कर रहे हैं. साल 2024 में जो सबसे ज्यादा खास होने वाला है वो है अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं अयोध्या नगरी को और किन - किन नामों से जाना जाता था.
Ayodhya Mein Siya Ram: आने वाला साल 2024 कई मायनों में खास होने वाला है. इस साल को अच्छा बनाने के लिए लोग कई तरह के इंतजाम कर रहे हैं. साल 2024 में जो सबसे ज्यादा खास होने वाला है वो है अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा. भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आगामी 22 जनवरी को होगी. इसे लेकर लोगों में काफी ज्यादा उत्साह है. इसे खास बनाने के लिए लोग कई तरह के काम कर रहे हैं. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं अयोध्या नगरी को और किन - किन नामों से जाना जाता था.
इन नामों से जानी जाती थी अयोध्या
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो रामायण काल में अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी हुआ करता था जिसकी वजह से बहुत से लोग इसे कोसल भी कहा जाता था. इसके अलावा अयोध्या नगर निगम की वेबसाइट के अनुसार अयोध्या को साकेत नाम से भी जाना जाता था. साथ ही साथ अयोध्या को अयुद्धा नाम से भी जाना था बाद में इसका नाम अयोध्या रख दिया गया.
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि बौद्ध काल में कोसल के दो भाग हो गए थे. उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल इसके बीच में सरयू नदी बहती थी. ऐसे में अयोध्या या साकेत उत्तरी भाग की और श्रावस्ती दक्षिणी भाग की राजधानी थी. इसके अलावा बता दें कि प्राचीन काल में कोसल के एक विशेष क्षेत्र अवध की राजधानी थी इसलिए इसे अवधपुरी भी कहा जाता था. यहां पर अवध का अर्थ था जहां किसी का वध न हो जबकि अयोध्या का अर्थ जिसे कोई भी जीता न जा सके.
अयोध्या का इतिहास
अयोध्या की पहचान की एक प्राचीन शहर के रूप में होती है, जिसे साकेत के नाम से भी जाना जाता है. अयोध्या की स्थापना प्राचीन भारतीय ग्रंथों के आधार पर ई.पू. 2200 के आसपास माना जाता है. इसका उल्लेख कई हिंदू पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. अयोध्या नाम का उल्लेख हिंदू ग्रंथों जैसे गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस में भी मिलता है. वहीं, बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 सालों तक निवास किया था. रामानंदी संप्रदाय का मुख्य केंद्र अयोध्या ही हुआ.