Diwali Puja Samagri: सनातन धर्म में दिवाली का खास महत्व माना जाता है, ऐसे में दीपावली की पूजा भी खास होती है, इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेशजी की विशेष पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे, ऐसे में इस अवसर को दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस बार 31 अक्टूबर को दिवाली अमावस्या शाम 4 बजे ले 1 नवंबर को शाम तक रहेगी. ऐसे में देश में अधिकतर दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनाई जा रही है. 


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शाम को बनेंगे 4 राजयोग 


दिवाली के दिन इस बार पंडितों की तरफ से शाम को समृद्धि देने वाले चार योग बनेंगे. जिसमें लक्ष्मी योग, शश, कुलदीपक और शंख का महत्व बढ़ जाता है. इस बार लक्ष्मी योग बनने से इस पर्व का और महत्व बढ़ जाता है. 


पूजा का शुभ मुहूर्त


  • शाम को 5:00 बजे से लेकर 6:30 तक 

  • शाम को 7:15 बजे से लेकर रात 8:45 तक विशेष योग है 


व्यापारियों के लिए पूजा मुहूर्त


  • व्यापारियों के लिए दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:15 से रात 8:45 तक है 

  • इसके अलावा रात 1:15 से 3:27 तक भी विशेष योग बना है. 


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दीपावली की पूजन सामग्री 


  • लक्ष्मीजी-गणेशजी की मूर्ति और राम दरबार 

  • चांदी के सिक्के, गेहूं, नारायिल 

  • कलश का लोटा, लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा 


गंगाजल, घास की अंगूठी, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, चावल, हल्दी, कुमकुम, कमल, दूर्वा, जनेऊ, इत्र, हल्दी की गाठें, रक्त-चंदन, फूल माला, फल, पान, लौंग, सुपारी, रुई बत्ती, तेल, धूपबत्ती, दीपक, माचिस, कपूर, खील बताशे, मिट्टी के 10 दीपक और मिठाई. 


मंत्रों का जाप
लक्ष्मी माता के मंत्र का उच्चारण करें, जैसे:
"ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।"


पूजा विधि 


दीपावली की पूजा विधि में ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण तत्व होते हैं. एक अच्छी पूजा विधि में स्पष्टता, संक्षिप्तता, और सभी आवश्यक चरणों का समावेश होना चाहिए.  पूजा के लिए सामग्री, मंत्र, और समय का सही प्रबंधन महत्वपूर्ण है. सबसे पहले गंगाजल से स्नान करे. फिर आचमन कर खुद को शुद्ध करें और शुध्द वस्त्र धारण करें. लकड़ी की चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेशजी की स्थापना करें. मंत्र और आवाहन मंत्र का जाप करें. विधि-विधान लक्ष्मी गणेश जी की पूजन कीजिए. पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, खंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य  धूप, दीप, हल्दी, आदि चीजें चढ़ाए. इसके बाद लक्ष्मीजी की विशेष स्तुति कीजिए और फिर आरती कीजिए. पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिवार के सदस्यों में बांटें. परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर सुख, समृद्धि, और शांति की प्रार्थना करें. 


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