Jyeshtha Purnima 2024: 21 या 22 जून कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और मां तुलसी की पूजा विधि

Jyeshtha Purnima 2024: सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व है. इस दिन व्रत और माता तुलसी की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है. जानिए साल 2024 में ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा. इसकी सही तारीख क्या है, शुभ मुहूर्त और मां तुलसी की पूजा विधि के बारे में.

रुचि तिवारी Jun 14, 2024, 14:09 PM IST
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Jyeshtha Purnima: मध्य प्रदेश के मशहूर पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी के मुताबिक सनातन धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा को बहुत शुभ माना गया है. कहा जाता है कि इस दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान-धर्म और तुलसी माता की पूजा का भी विशेष महत्व है. जानिए कि इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा कौन सी तारीख को पड़ रही है. 

 

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ज्येष्ठ पूर्णिमा डेट

ज्येष्ठ पूर्णिमा डेट- हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत  21 जून 2024 को सुबह 7.31 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन 22 जून को सुबह 6.38 बजे होगा. 

 

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कब रखा जाएगा व्रत

कब रखा जाएगा व्रत- कोई भी व्रत उदय तिथि पर रखा जाता है. ऐसे में इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 21 जून 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा. 

 

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22 जून को मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा

22 जून को मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान-दान 22 जून 2024, शनिवार के दिन किया जाएगा. ऐसे में पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी, जबकि व्रत 21 जून को रखा जाएगा. 

 

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ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व-  धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन व्रत और लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से धन-धान्य एवं सौभाग्य की प्राप्ती होती है. साथ ही चंद्र देव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और जीवन सुख में बीतता है.

 

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मां तुलसी की पूजा

मां तुलसी की पूजा- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मां तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा का बहुत महत्व है. तुलसी के पौधे का सोलह श्रृंगार करें और उनकी पूजा करें. 

 

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पूजा विधि

पूजा विधि- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें. मंदिर और घर की साफ-सफाई करें. माता तुलसी के साथ भगवान शालिग्राम को स्थापित करें. उन्हें गंगाजल, पंचामृत और जल अर्पित करें. इसके बाद सिंदूर, चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं. मां तुलसी का सोलह श्रृंगार करें. इसके बाद भगवान शालिग्राम और मां तुलसी को माला अर्पित करें. दीपक जलाएं और सात्विक भोग, फल, मिठाई का भोग लगाएं. आरती कर पूजा समाप्त करें.

Discalimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक आस्था, मान्यताओं और विभिन्न स्त्रोतों पर आधारित है. 

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