Premanand Maharaj: चार-पांच गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड बनाना सही या गलत, जानिए क्या कहते हैं प्रेमानंद महाराज
Premanand Thoughts on Relationship: वृंदावन के मशहूर संत प्रमानंद जी के विचार और प्रवर्चन इन दिनों लोग खूब देखना और सुनना पसंद करते हैं. वे अक्सर लोगों को एक अच्छी जीवनशैली जीने के बारे में बताते हैं. हाल में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बताया है कि चार-पांच गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड रखना सही है या गलत...
Premanand Maharaj Ke Vichar
वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद महाराज के विचार लोगों को प्रेरित करते हैं और उनके जीवन को सही दिशा में बदलने के लिए प्रेरणा देते हैं. वे अक्सर लोगों के प्रश्नों के उत्तर भी प्रदान करते हैं, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलते हैं.
Premanand Maharaj Love Tips
प्रेमांनद महाराज आज के युवा पीढ़ी को लेकर अक्सर अच्छे-अच्छे विचार देते रहते हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने युवाओं के लव लाइफ को लेकर बताया है.
चार-पांच गर्लफ्रेंड रखना सही है या गलत?
दरअसल, प्रेमानंद महाराज से किसी भक्त ने पूछा कि महाराज जी, आज के समय में चार-पांच गर्लफ्रेंड रखना सही है या गलत? आइए जानते हैं इसको लेकर क्या कुछ बोले प्रेमानंद जी महाराज.
जानिए क्या बोले प्रेमानंद महाराज?
प्रेमानंद महाराज ने जवाब में कहा, एक एक बच्चा चार-चार पांच गर्लफेंड, एक बच्ची चार-चार बच्चों से ब्रेकअप करके नया ब्वॉफ्रेड बना लेती है ये सब क्या है ये सब अपवित्र विचार है.
चार-पांच गर्लफ्रेड बनाना गलत
प्रेमानंद महाराज ने कहा चार-चार पांच-पांच गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड बनाना चरित्रहीनता, ब्रम्हचर्यहीनता और आचारण अपवित्र विचार है.
कभी नहीं मिलती सुख और शांति
चार-चार पांच-पांच गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड बनाने वाले को लेकर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर किसी कारण वश ऐसे लड़के-लड़की किसी बड़े पद पर भी पहुंच जाए तो वे सुख और शांति को नहीं प्राप्त कर सकते है.
वासनाओं की पूर्ति वाले सैकड़ों तैयार
आज के समय में फ्रेंड कम अपने वासनाओं को पूर्ति रखने वाले दोस्त बनने वाले सैकड़ों तैयार हैं. हमारे से सुख रखने की लालसा रखने वाला कभी दोस्त नहीं होता. इसलिए किसी से बहुत सोच-समझकर दोस्ती करें.
सही मित्र मिलना सौभाग्य की बात
आज कल सही मित्र मिलना बहुत सौभाग्य की बात है. हम अपने फ्रेंड का चयन बहुत सोच समझकर करें, फ्रेंड वही होता है, जो अपने को बलिदान करके सामने वाले सुखी रखें. जो अपने को मिटाकर सामने वाले को सुखी रखना चाहिए. लेकिन आज के मित्र सिर्फ अपने वासनाओं की पूर्ति के लिए बनते हैं.