जीतिया व्रत का फल पाने के लिए कैसे करे पूजा-विधि, शुभ-मुहुर्त
Jitiya Vrat 2023: जीवित-पुत्रिका व्रत को माताएं अपनी संतान के लिए करती है जिसमें 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता हैं. संतानों की सुरक्षा की कामना व्रती भगवान कृष्ण से करती है. इसमें चील और सियारिन की पूजा की बात है.
जीतिया-व्रत क्यों ?
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अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से नवमी तिथि तक जितिया का व्रत रखा जाता है. जितिया व्रत महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं और कुछ संतान पाने के लिए भी इसको करती हैं. इसे निर्जला ही किया जाता है.
व्रत से पहले क्या न करें
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इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर 2023 को रखा जाएगा. व्रत से कई दिन पहले ही कुछ चीजें जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन बंद करना चाहिए जिससे व्रत करने का फल मिलता हैं. इस व्रत से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसके महत्व को समझना भी जरूरी है.
जितिया व्रत में क्या खाना होता हैं?
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जितिया उपवास सबसे कठिन व्रत माना जाता है. जो महिलाएं जितिया का व्रत करती हैं, उन्हें एक दिन पहले यानि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तथि की को मरूआ के आटे की रोटी, सतपुतिया की सब्जी और अरुआ का चावल खाते हैं. इसके बाद अष्टमी को उपवास करती हैं.
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 मुहूर्त
इस व्रत को करने का सही समय- 6 अक्टूबर 2023, सुबह 6:34 मिनट से 7 अक्टूबर 2023 सुबह 8:08 मिनट तक है.
जीवित्पुत्रिका व्रत-पूजा विधि
इस व्रत की पूजा उसी दिन प्रदोष काल में की जाती है. इस पूजा में मुख्य रूप से जीमूतवाहन भगवान और चील-सीयारों का प्रतीक गाय के गोबर से बनाते हैं. साथ में नोनी का साग और मरुआ की रोटी भी चढ़ाया जाता है. जीमूतवाहन भगवान कि विधिवत पूजा की जाती है. इनके पूजन के बाद ही चिलो सियारों की पूजा की जाती है. इसके बाद कथा सुनते है और अंत में आरती करते है.
जीतिया व्रत पारण
नवमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है. पारण वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें एवं पूजा करें. सूर्य अर्घ्य के बिना ना तो व्रत प्रारंभ होता है और ना ही पारण होता है. कई जगहों पर, पारण के समय नोनी का साग और चावल खाते है.
अस्वीकरण
जीवित्पुत्रिका-व्रत के संबंध में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.