Sarva Pitru Amavasya: आज सर्वपितृ अमावस्या पर न करें ये 5 गलतियां, पूर्वजों को नहीं मिलेगी शांति, आपको होगा पाप
Sarva Pitru Amavasya: कल यानी 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन हो जाएगा. इस दिन उन लोगों के लिए आखिरी मौका है, जिन्होंने अपने पितरों का श्राद्ध किया है. आज हम उन छोटी-छोटी गलतियों के बारे में बता रहें है, जिन्हें पितर विदाई में कर जाने के पितरों को शांति नहीं मिलते ऊपर से आप श्राप के भागी बन जाते हैं.
Sarva Pitru Amavasya: समातन धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है. 15 दिन की इस अवधि में लोग पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर श्राद्ध और तर्पण करते हैं, जिससे उनकी आत्म को शांति मिले और उनका आशिर्वाद परिवार पर बना रहे. पितृपक्ष का प्रारंभ अश्विन माह की प्रतिपदा और समापन सर्वपितृ अमावस्या के रोज होता है. इस दिन लोग जानकारी के अभाव में कुछ गलतियां कर जाते हैं, जिनसे बचना चाहिए.
- उन्हीं पितरों का श्राद्ध करें जिनकी तिथी मालूम न हो
सर्वपितृ अमावस्या पर उन्हीं पितरों का श्राद्ध किया जाना चाहिए जिनकी मृत्यु तिथि या तो आपको मालूम न हो या फिर भूल गए हों. इसके अलावा उनका तर्पण तो करना ही चाहिए जिनकी मृत्यू आमावस्या को हुई है.
- बाल-नाखून कटवाने से बचना चाहिए
पितरों की विदाई के दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के रोज बाल-नाखून कटवाने से बचना चाहिए. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो ऐसा करने से पितृ दोष होता है. इस दिन किसी भी नई खरीदकरी से भी बचना चाहिए.
- द्वार से किसी को खाली हाथ न भेजें
सर्वपितृ अमावस्या पर दान-दक्षिणा लेने आपके किसी भी संत को खाली हाथ न जाने दें. इस तरह की कोई भी गलती आपके पूर्वजों को नाराज कर सकती है. द्वार पर आए व्यक्ति को कुछ न कुछ देना चाहिए. जानकारों की माने तो पितर विदाई के रोज आटा, चावल या तिल का दान शुभ होता है.
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- कमजोर का अपमान न करें
यू तो किसी गरीब को कभी नहीं सताना चाहिए, लेकिन सर्वपितृ अमावस्या के रोज ऐसा भूलकर भी न करें. ऐसा करने से आप उसकी बददुआ के भागी तो बनेंगे ही अपने पितरों का क्रोध भी आपको झेलना पड़ सकता है. इस दिन गाय, कुत्ता, कौवा या चींटी रोटी और दाना दें.
- इन चीजों के सेवन से बचें
यूं तो पूरे पितृपक्ष में तामसी भोजन, मांस, मदिरा से बचना चाहिए, लेकिन सर्वपितृ अमावस्या पर इसका विशेष ध्यान रखें. इसके अलावा लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन खाने से बचें. इस दिन मसूर की दाल, अलसी, धतूरा, कुलथी आदि का भोजन शुभ माना जाता है.
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इसके साथ ही कुछ अन्य बातों का ध्यान रखना चाहिए
- श्राद्ध कर्म के दौरान लोहे के बर्तन का इस्तेमाल न करें
- श्राद्ध कर्म में इत्र या परफ्यूम का इस्तेमाल करने से पितृ दोष लगता है
- ब्रह्मणों को चटाई या लकड़ी के आसन पर बैठाना चाहिए
- ब्राह्मण को भोजन करवाते समय मौन रहें और उनके भोजन से पहले आप खाना न खाएं
- ब्राह्मण भोज को कराने के बाद पितरों को मन में याद कर भूल चूक के लिए क्षमायाचना करें
- रात के समय दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का सरसों के तेल का दीपक जलाएं
सर्वपितृ अमावस्या महत्व
सर्वपितृ अमावस्या का विशेष मान्यता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों एक ही राशि में होते हैं. सूर्य पिता और चंद्रमा मां का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए इस दिन पूर्वजों के नाम पर किए गए जल दान, श्राद्ध तर्पण और पिंडदान उनकी आत्मा को तृप्त करते हैं. माना जाता है इस दिन पूर्वज सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर पुनः स्वर्ग लोक को चले जाते हैं.
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पितृ विसर्जन 2023 दिन, तिथि और समय
हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल अश्विविन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है. इसका समापन दोपहर 03 बजकर 35 मिनट पर होगी.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न श्रोंतों से प्राप्त पौराणिक मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है. इसकी आधिकारिक पुष्टि zee media नहीं करता है. इसके लिए आप संबंधित विशेषज्ञ से सला ले सकते हैं.