Damoh News: दमोह। लोकसभा चुनावों के बीच दल बदल का दौर जारी है. इसी क्रम में बीजेपी ने BSP को बड़ा झटका दिया है. दमोह से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और दलित नेता भगवान दास चौधरी को BJP ने अपने खेमे में खीच लिया है. रविवार को सागर के बंडा विधानसभा क्षेत्र के शाहगढ़ में आयोजित CM मोहन यादव की आमसभा में चौधरी ने भाजपा की सदस्यता ली है. इस दौरान दमोह से भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी ने भगवानदास सहित उनके समर्थकों को भाजपा की सदस्यता दिलाई है. अब कहा जा रहा है कि इलाके में दलित वोटों का गणित बिगड़ सकता है.


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कांग्रेस से नाराज BSP में पहुंचे
दमोह के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे भगवानदास चौधरी मूलतः कांग्रेसी नेता रहे हैं और कांग्रेस में वो बड़े दलित नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं. भगवानदास लगातार कई चुनावों से पहले जिले की पथरिया रिजर्व सीट और फिर हुई रिजर्व सीट हटा से कांग्रेस से विधानसभा की टिकट मांगते आ रहे थे. हालांकि, कांग्रेस ने उन पर विश्वास नहीं किया. इसी कारण साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौर में भगवानदास ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. 


नया ठिकाना बनी भाजपा
भगवानदास पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यकीन किया और उन्हें दमोह जिले की हटा सीट से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा लेकिन भगवानदास का जादू नहीं चला और वो बुरी तरह से हार गए. इसके बाद कांग्रेस से बसपा में गए भगवानदास कुछ ही महीनों तक मायावती के साथ रह पाए और अब उनका नया ठिकाना भाजपा हो गई है.


दलित वोट बैंक पर नजर
लोकसभा चुनाव के दौरान इस दलित नेता का भाजपा में आना कई तरह के संकेत दे रहा है. बुंदेलखंड इलाके की बात करें तो इस रीजन में भाजपा की नजर दलित वोट बैंक पर है. अमूमन माना जाता रहा है कि इस इलाके का दलित वोट कांग्रेस के साथ रहा है लेकिन बीते कुछ चुनाव में ये बड़ा तबका बीएसपी के साथ चला गया.


BSP का अच्छा वोट बैंक
दमोह सहित बुंदेलखंड के कई हिस्सों में बीएसपी का वोट बैंक बढ़ा था. दमोह जिले के पथरिया से साल 2018 के चुनाव में बसपा की रामबाई सिंह विधायक भी चुनी गईं थी. हालांकि, 5 साल बाद 2023 में रामबाई का जादू नहीं चल पाया और वो चुनाव में तीसरे नम्बर पर आ गईं. इन तमाम हालातों के साथ भाजपा की प्लानिंग भी युद्ध स्तर पर जारी रही.


BJP कर रही है पूरी कोशिश
बीते साल सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास के भव्य मंदिर की आधारशिला रखकर इस तबके को आकर्षित करने का प्रयास किया था और भाजपा का ये प्रयोग कुछ हद तक सफल भी रहा. विधानसभा चुनाव में इसका असर भी देखा गया. अब सवाल लोकसभा चुनाव का है लिहाजा पार्टी इस तबके पर नजर गड़ाए है. कोशिश में है कि दलित नेता उनकी पार्टी के साथ जुड़े.


दमोह से जी मीडिया के लिए महेंद्र दुबे की रिपोर्ट