Guna Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर कुछ दिलचस्प सियासी समीकरण बनते नजर आ रहे हैं, बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां से प्रत्याशी बनाया है. जबकि अब कांग्रेस की तरफ से यहां दिग्विजय सिंह का नाम तेजी से चर्चा में आया है. खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह ने भी इन संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है, ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना सीट पर आमने-सामने आते हैं तो लोकसभा चुनाव में मुकाबला सबसे दिलचस्प हो सकता है. 


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पार्टी के आदेश का पालन करूंगा: दिग्विजय सिंह 


ग्वालियर पहुंचे पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से जब गुना लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा 'हम तो कांग्रेस के एक साधारण से कार्यकर्ता है, पार्टी जो आदेश करेगी उसका पालन करेंगे, सबकुछ पार्टी तय करती है.' दिग्विजय सिंह के बयान पर गौर किया जाए तो उन्होंने सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने की संभावना से पूरी तरह से इंकार नहीं किया है. 


सियासी गलियारों में भी इस बात की चर्चा तेज हैं कि कांग्रेस अपने सभी सीनियर नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है. छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चुनाव में उतारकर कांग्रेस यह संकेत दे भी चुकी है. ऐसे में पार्टी दिग्विजय सिंह को भी चुनाव लड़ा सकती है. 


'राजा-महाराजा' हो सकते हैं आमने-सामने ?


दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में राघौगढ़ राजपरिवार से आते हैं, जबकि ग्वालियर के प्रसिद्ध सिंधिया राजघराने की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया संभाल रहे हैं. ऐसे में ग्वालियर-चंबल समेत मध्य प्रदेश में लोग दिग्विजय सिंह को 'राजा साहब' और ज्योतिरादित्य सिंधिया को 'महाराज' कहकर बुलाते हैं. यही वजह है कि जब दोनों के बीच चुनाव लड़ने की बात उठी तो सियासी गलियारों में यह चर्चा तेजी से हो रही है कि इस बार लोकसभा चुनाव में 'राजा-महाराजा' आमने-सामने हो सकते हैं. क्योंकि बीजेपी ने सिंधिया को गुना लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है, गुना दिग्विजय सिंह भी गृह क्षेत्र है, ऐसे में कांग्रेस सिंधिया के खिलाफ मजबूत चेहरे के तौर पर दिग्विजय सिंह को उतार सकती है. 


कभी नहीं हुआ चुनावी मुकाबला 


कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का रिश्ता सियासत में रेल की पटरियों कि तरह रहा है, जो दोनों साथ तो चले लेकिन दूरिया हमेशा बनी रही. ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए तो रेल की पटरियों वाला यह साथ भी छूट गया, जिसके बाद पिछले कुछ समय में दोनों खुलकर एक दूसरे के खिलाफ बयान भी दे चुके हैं. हालांकि दोनों राज परिवारों का राजनीति में लंबा इतिहास रहा है, लेकिन खुलकर कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़े हैं. लेकिन पहली बार दोनों के चुनाव में आमने-सामने आने की संभावना बन रही है. 


2019 में दोनों नेताओं को मिली थी हार 


2019 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों को हार का सामना करना पड़ा था. दिग्विजय सिंह भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से हार गए थे. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया में बीजेपी के केपी यादव से चुनाव हारे थे. भाजपा ने इस बार केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को मौका दिया है. जबकि कांग्रेस भी दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ा सकती है. फिलहाल मध्य प्रदेश के दोनों दिग्गज नेता राज्यसभा सांसद हैं. 


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